1. सोने की हिरणी न तो किसी ने बनायी, न किसी ने इसे देखा और न यह सुनने में ही आता है कि हिरणी सोने की भी होती है । फिर भी रघुनन्दन की तृष्णा देखिये ! वास्तव में विनाश का समय आने पर बुद्धि विपरीत हो जाती है ।
2. कभी किसी के साथ अपने रहस्य साझा न करें। अगर तुम खुद अपने रहस्य नही छुपा सकते तो कैसे उम्मीद करते हो की कोई दूसरा उस रहस्य को छुपाएंगा… यही तुम्हे बर्बाद करता है।
3. भविष्य की सुरक्षा के लिए धन का इकट्ठा करना आवश्यक है लेकिन जरूरत पड़ने पर इन धन को खर्च करना उससे कही अधिक आवश्यक होता है।
4. चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य ने बताया कि व्यक्ति को भूतकाल के विषय में पछतावा और भविष्यकाल को लेकर चिंतित कभी नहीं होना चाहिए। उसे सब चिंताओं का त्याग करके वर्तमान में जीना चाहिए।
5. डर को पास मत आने दो, अगर यह नजदीक आए, इस पर हमला कर दो मतलब डर से भागो मत इसका सामना करो।
6.व्यक्ति अपने जन्म से नहीं अपने कर्मो से महान बनता हैं, उसी तरह कोई भी व्यक्ति अपने गुणों से ऊपर उठता हैं ऊपर स्थान पर बैठने से नहीं।
7. असंभव शब्द का प्रयोग केवल कायर ही करते है। बहादुर और बुद्धिमान व्यक्ति आपना मार्ग स्वयं बनाते है।
8. कोयल तब तक मौन रहकर दिनों को बिताती है, जब तक कि उसकी मधुर वाणी नहीं फूट पड़ती । यह वाणी सभी को आनन्द देती है । अतः जब भी बोलो, मधुर बोलो । कड़वा बोलने से चुप रहना ही बेहतर है।
9. गलती करने पर जो पछतावा होता है, यदि ऐसी मति गलती करने से पहले ही आ जाए, तो भला कौन उन्नति नहीं करेगा और किसे पछताना पड़ेगा।
10. यदि आप प्रयास करने के बाद भी असफल हो जाऐं तो भी उस व्यक्ति से हर हाल में बेहतर होंगे जिसको बिना किसी प्रयास के सफलता मिल गई हो।
11. असंभव शब्द का प्रयोग केवल कायर ही करते है, बहादुर और बुद्धिमान व्यक्ति अपना मार्ग स्वयं बनाते है।
12. जिन लोगों में लज्जा का गुण न हो,जो किसी भी गलत कार्य को करने में,संकोच न करें और जो लज्जा हीन हो,उनसे मित्रता नहीं करनी चाहिए।
1. इस दुनिया में बस 20% लोग ही ऐसे होते है जो सफलता की केटेगरी में आते है. पर दूनिया में लोग तो 100% है तो आखिर ये 80% लोग सफल क्यों नहीं होते ? अब आप कहोगे की इन्हें अच्छी परवरिश मिली होगी या इनके बाप – दादा अच्छे घर से होंगे. नहीं गलत, आज ऐसे कई Example है जहाँ लोगो ने जमीन से आसमान की बुलंदियां छुई है. ऐसे लोग जो गरीब जीवन जीते हुए बहुत अमीर बन गये. इन सब में एक बड़ा diffrence है आलस्य का. 80% लोग किसी काम को करने में आलस्य करते है वही 20% लोग उसी काम को बड़ा मन लगाकर करते है. इसलिए जीवन बेहतर और खुशहाल बनाना है तो आलस्य त्यागो और परिश्रम करना सीखो. याद रखो ” आलसी मनुष्य का कोई भी वर्तमान और भविष्य नहीं होता।
2. आधी रात तक जागते नहीं रहना चाहिए। बिना अधिकार के किसी के घर में प्रवेश न करें। पराए धन को छीनना अपराध है।
3. जिन वचनो से राजा के प्रति द्वेष उत्पन्न होता हो, ऐसे बोल नहीं बोलने चाहिए। कोयल की कुक सबको अच्छी है। प्रिय वचन बोलने वाले का कोई शत्रु नहीं होता।
4. जब खीर गर्म हो तो पतीले में खीर किनारे से थोड़ी थोड़ी खानी चाहिए।
5. जो बीत गया सो बीत गया। अपने हाथ से कोई गलत काम हो गया है तो उसकी फिक्र छोड़ते हुए वर्तमान को सलीके से जीकर भविष्य को सवारना चाहिए।
6. अगर कोई व्यक्ति कमजोर है, तब भी उसे हर समय अपनी कमजोरी का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए।
7. जो लोग हमेशा दूसरों की बुराई करके खुश होते हों, ऐसे लोगों से दूर ही रहों ; क्योंकि वे कभी भी आपके साथ धोखा कर सकते हैं. जो किसी और का न हुआ, वह भला आपका क्या होगा।
8. जल में तेल, दुष्ट से कही गई बात, योग्य व्यक्ति को दिया गया दान तथा बुद्धिमान को दिया ज्ञान थोड़ा सा होने पर भी अपने- आप विस्तार प्राप्त कर लेते हैं।
9. युवावस्था के छात्र जीवन को तपस्वी की तरह माना गया है। चाणक्य कहते हैं युवा छात्र को स्वादिष्ट भोजन की लालसा छोड़ देना चाहिए और स्वास्थ्यवर्धक संतुलित आहार लेने की कोशिश करनी चाहिए।
10. चाणक्य कहते हैं कि बचपन में संतान को जैसी शिक्षा दी जाती है, उनका विकास उसी प्रकार होता है। इसलिए माता-पिता का कर्तव्य है कि वे उन्हें ऐसे मार्ग पर चलाएं, जिससे उनमें उत्तम चरित्र का विकास हो क्योंकि गुणी व्यक्तियों से ही कुल की शोभा बढ़ती है।
1.अगर आपके घर में बेहतर यानी कि आनंददायी वातावरण है तो आप अपने आप को खुशहाल मान सकते हैं। आमतौर पर लोग अपने घरों में अक्सर अपनों के साथ तनातनी और परेशानियों के कारण जूझते रहते हैं। इसके कारण घर में हमेशा तनावपूर्ण माहौल बना रहता है। ऐसे में अगर आपके घर में भी सब कुछ सामान्य है। घर के हर सदस्य के साथ आपके संबंध मधुर हैं और हमेशा आपके निवास पर आनंददायी माहौल बना रहता है तो आप यह मान सकते हैं कि आप पर भगवान की विशेष कृपा है।
2. हर किसी की तमन्ना होती है कि उनका बच्चा आज्ञाकारी होने के साथ साथ गुणी हो, लेकिन ऐसे बिरले ही होते हैं जिनका बच्चा आज्ञाकारी होने के साथ साथ गुणी निकलता है। घर की दहलीज के बाहर कदम रखते ही बच्चे अक्सर बुरी संगतों में पड़ अवगुणी हो जाते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जिन पर बाहर के बुरे वातावरण का कोई खास असर नहीं होता है, ऐसे गुणी बच्चे बड़े नसीब वालों को ही मिलते हैं। अगर आपका बच्चा भी गुणी है तो आप मान सकते हैं कि आप पर प्रभु की विशेष कृपा है।
3. पत्नी सुशील हो, सुंदर हो और बेहतर भोजन पकाना जानती हो…एक आम भारतीय पुरुष की अपनी जीवन संगिनी से यही तमन्ना रहती है। मगर ऐसा कम ही होता है कि आपकी होने वाली या हो चुकी पत्नी में ये तीनों गुण हों। लेकिन आचार्य चाणक्य का कहना था कि अगर आपकी पत्नी मधुर बोलने वाली है आप खुद को नसीब वाला मान सकते हैं वहीं अगर आपके संबंध अपनी पत्नी के साथ सुखपूर्ण हैं तो आपका जीवन धन्य होगा। इसका मतलब यह हुआ कि आप पर प्रभु की कृपा है।
4.व्यक्ति की जरूरतें कभी पूरी नहीं होतीं क्योंकि मनुष्य महत्वाकांक्षी होता है, लेकिन इतनी धन हर किसी के पास होना चाहिए कि वो अपनी जरुरतों को पूरा कर सके, लेकिन ऐसे नसीब वाले भी बहुत कम होते हैं। अगर आपके पास अपनी जरुरतों को पूरा करने के लिए हरदम पर्याप्त धन बना रहता है तो आपको मान लेना चाहिए कि आप पर प्रभु की कृपा बनी हुई है।
5.अच्छा भोजन करना किसको रास नहीं आता, लेकिन उत्तम भोजन करना भी हर किसी के नसीब में नहीं होता है। अगर किसी को रोजाना उत्तम भोजन नसीब हो रहा है तो वाकई में उस पर प्रभु की कृपा है।
6. आचार्य चाणक्य का कहना था कि अगर विवाह के बाद आपकी पत्नी के स्वभाव में परिवर्तन आता है और वो गलत काम करने लगती है..ससुराल में किसी का भी ध्यान नहीं रखती है और न ही अपने कर्तव्यों का ठीक से निर्वहन करने की कोशिश करती है तो इस व्यवहार के लिए उसके पति को भी कष्ट भोगना पड़ता है। ठीक इसी प्रकार अगर किसी महिला का पति ऐसा व्यवहार करता है..या गलत काम करता है तो उसके इस काम का अंजाम दोनों को भुगतना पड़ता है…तो ऐसे में पति और पत्नी दोनों को एक दूसरे की सलाह मानकर ही जिंदगी की गाड़ी को आगे बढ़ाना चाहिए।
7. जब कोई शिष्य गलती करता है तो इसमें भी उसके गुरु की अहम भूमिका होती है। यानी गुरु के गलत कामों का अंजाम उसके शिष्यों को भी भुगतना होता है। गुरु का काम होता है कि वो अपने शिष्यों को सही और गलत राह का अहसास कराए और उसे हमेशा सही काम करने के लिए प्रोत्साहित करे..यदि कोई गुरु ऐसा नहीं करता तो उसका चेला मार्ग भटककर गलत कामों में लिप्त हो सकता है और इसका परिणाम उस गुरु को भी भोगना पड़ सकता है।
8. अगर आपका शत्रु आप पर अचानक हमला कर दे तो आप उस स्थान से तुरंत हट जाए नहीं तो आपका ही नुकसान होगा। चाणक्य ने बाताया कि अगर आप उस जगह रहेगे आपका शत्रु तो पूरी तैयारी के साथ आया है, लेकिन आप इस हमले से अनभिज्ञ है। जिसके कारण वो आप पर भारी पड़ेगा। इसलिए ऐसी जगह से तुरंत भाग जाना चाहिए जिससे कि आप अपना जीवन बचा सके।
9. चाणक्य के अनुसार अगर आपको किसी जगह पर दंगा या फिर मारपीट करते हुए दिखे तो वहां से तुंरत भाग जाना चाहिए, क्योंकि अगर आप वहां रुके तो आपको कई परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। आप उन उपद्रवियों की हिंसा का शिकार भी हो सकते है। साथ ही प्रशासन की कार्यवाही में भी फंस सकते है। इसलिए ऐसे लोगों से दूरी बना कर रखें तो अच्छा होगा।
10. अगर किसी क्षेत्र में अकाल पड गया है तो उस जगह से तुंरत भाग जाए, क्योंकि उस जगह पर यदि हर संसाधन जैसे कि खाना-पीना आदि समाप्त हो गया हो। ऐसी जगह पर रहने से आपके जीवन में संकट आ सकता है। आप इन चीजों के बगैर ज्यादा दिन तक जीवित नहीं रह सकते है। इसलिए ऐसी जगह से तुरंत चले जाना ही आपके लिए बेहतर है।
1. दुनिया में बाँधने के ऐसे अनेक तरीके है जिससे व्यक्ति को प्रभाव में लाया जा सकता है और नियंत्रित किया जा सकता है. सबसे मजबूत बंधन प्रेम का है. इसका उदाहरण वह मधु मक्खी है जो लकड़ी को छेद सकती है लेकिन फूल की पंखुडियो को छेदना पसंद नहीं करती चाहे उसकी जान चली जाए।
2. जिसका ज्ञान किताबो में सिमट गया है और जिसने अपनी दौलत दुसरो के सुपुर्द कर दी है वह जरुरत आने पर ज्ञान या दौलत कुछ भी इस्तमाल नहीं कर सकता।
3. एक बुरे मित्र पर तो कभी विश्वास ना करे। एक अच्छे मित्र पर भी विश्वास ना करें। क्यूंकि यदि ऐसे लोग आपसे रुष्ट होते है तो आप के सभी राज से पर्दा खोल देंगे।
4. जो व्यक्ति आर्थिक व्यवहार करने में, ज्ञान अर्जन करने में, खाने में और काम-धंदा करने में शर्माता नहीं है वो सुखी हो जाता है।
5.ब्राह्मण अच्छे भोजन से तृप्त होते है. मोर मेघ गर्जना से. साधू दुसरो की सम्पन्नता देखकर और दुष्ट दुसरो की विपदा देखकर।
6. बसंत ऋतू क्या करेगी यदि बास पर पत्ते नहीं आते. सूर्य का क्या दोष यदि उल्लू दिन में देख नहीं सकता. बादलो का क्या दोष यदि बारिश की बूंदे चातक पक्षी की चोच में नहीं गिरती. उसे कोई कैसे बदल सकता है जो किसी के मूल में है।
7. वह घर जहा ब्राह्मणों के चरण कमल को धोया नहीं जाता, जहा वैदिक मंत्रो का जोर से उच्चारण नहीं होता. और जहा भगवान् को और पितरो को भोग नहीं लगाया जाता वह घर एक स्मशान है।
8.वह लोग धन्य है, ऊँचे उठे हुए है जिन्होंने संसार समुद्र को पार करते हुए एक सच्चे ब्राह्मण की शरण ली. उनकी शरणागति ने नौका का काम किया. वे ऐसे मुसाफिरों की तरह नहीं है जो ऐसे सामान्य जहाज पर सवार है जिसके डूबने का खतरा है।
9. ऐसे अनेक पुत्र किस काम के जो दुःख और निराशा पैदा करे. इससे तो वह एक ही पुत्र अच्छा है जो समपूणर घर को सहारा और शांति प्रदान करे।
10. जो लोग मूर्ख होते हैं वो ज्ञानी व्यक्तियों को अपना शत्रु मानते हैं। यदि कोई ज्ञानी व्यक्ति मूर्ख व्यक्ति के सामने कोई उपदेश देता है तो वो उसे अपना सबसे बड़ा शत्रु मानतें हैं। ज्ञानी की बातें मूर्ख कभी नहीं मानता क्योकि मूर्ख का स्वभाव होता है उसे ज्ञान से दूर रखने का।
11. स्त्रियां अपने सौंदर्य और यौवन से सभी काम आसानी से करा पाने में पारंगत होती हैं। ऐसा चाणक्य कहा करते थे। चाणक्य का कहना था कि अगर कोई भी स्त्री सुंदर न होने के बावजूद अगर मधुर वाणी बोलती है उसका स्वभाव मधुर है तो भी वो अपनी सारी परेशानियों का हल निकाल लेती है। क्योंकि मधुर व्यवहार हर स्त्री को मान सम्मान दिला सकता है।
12. महिलाएं एक झूठ को छिपाने के लिए 100 झूठ तक बोलने से सकोंच नहीं करती हैं, लेकिन जब सच सामने आता है तो उन्हें काफी जलालत का सामना करना पड़ता है। महिलाएं इस बीमारी की चपेट में कभी न कभी आ ही जाती हैं। आचार्य चाणक्य का कहना था कि महिलाओं का यह स्वाभाविक गुण कभी कभार उनका इतना अहित करवा देता है कि उनको इसका अंदाजा भी नहीं लग पाता।
1. यदि आदमी को परख नहीं है तो वह अनमोल रत्नों को तो पैर की धुल में पडा हुआ रखता है और घास को सर पर धारण करता है. ऐसा करने से रत्नों का मूल्य कम नहीं होता और घास के तिनको की महत्ता नहीं बढती. जब विवेक बुद्धि वाला आदमी आता है तो हर चीज को उसकी जगह दिखाता है.
2. चाणक्य के अनुसार ऐसी कुछ स्त्रियां होती हैं, जिनसे पुरुषो को शादी नहीं करनी चाहिए। स्त्रियों की सुंदरता ही सब कुछ नहीं होती है यदि कोई पुरुष सिर्फ सुंदरता के आधार पर ही उसे विवाह कर लेता है तो हो सकता है कि उसे बाद में पछताना पड़े, क्योंकि सुंदर काया होने के बावजूद हो सकता है उसका मन काला हो।
3. चाणक्य ने बताया है कि अच्छे संस्कारों वाली महिला घर को स्वर्ग बना देती है लेकिन वही बुरे संस्कारों वाली स्त्री परिवार में तनाव पैदा करने का कारण बन सकती है। इसलिए ऐसी स्त्री से विवाह करने से बचना चाहिए।
4. जो महिलाएं शादी के बाद रिश्तों को हमेशा तोड़ने की बात करती है, ऐसी स्त्री परिवार के बारे में हमेशा नकारात्मक विचार रखती परिवार को दुख पहुंचाती है इसलिए उनसे बच कर रहना चाहिए।
5. विवाह के बाद व्यक्ति को दूसरी स्त्रियों पर आकर्षित नहीं होना चाहिए क्योंकि इस वजह से पारिवारिक जीवन में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता हैं।
6. व्यक्ति को जैसा भी खाना मिलें, खुशी-खुशी खा लेना चाहिए । कभी भी किसी खाने की बुराई नही करनी चाहिए और थाली में खाना नहीं बचाना चाहिए।
7. व्यक्ति के पास जितने भी पैसे हो अर्थात् जितनी भी उसकी आय है उसको उसी में खुश रहना चाहिए और आय से अधिक कभी खर्च नहीं करना चाहिए ।
8. मनुष्य को कभी भी पढ़ना नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि जितना अधिक अध्ययन करेंगे, उतना ज्यादा आपके ज्ञान में बढ़ोत्तरी होगी और ज्ञानी व्यक्ति ही जीवन में सुख-शांति से रह पाता है।
9. मनुष्य के अंदर कुछ गुण स्वंय से उत्पन्न होते हैं। जैसे दान करना, मीठी बातें करना, लोगों की सेवा करना, समय पर सही-गलत का निर्णय लेना। इसे कहीं और से नहीं सिखा जा सकता।
10. किसी प्रकार का अर्जित ज्ञान कभी भी बेकार नहीं जाता है चाहे वह किताबी ज्ञान हो या फिर किसी काम को करने से मिला अनुभव का ज्ञान। एक न एक दिन आपका यह अनुभव काम आता है। ऐसा व्यक्ति कभी भी जीवन में असफल नहीं होता है।
1. एक महान आदमी जब कोई गलत काम करता है तो उसे कोई कुछ नहीं कहता. एक नीच आदमी जब कोई अच्छा काम भी करता है तो उसका धिक्कार होता है. देखिये अमृत पीना तो अच्छा है लेकिन राहू की मौत अमृत पिने से ही हुई. विष पीना नुकसानदायी है लेकिन भगवान् शंकर ने जब विष प्राशन किया तो विष उनके गले का अलंकार हो गया।
2. जो जल धरती में समां गया वो शुद्ध है. परिवार को समर्पित पत्नी शुद्ध है. लोगो का कल्याण करने वाला राजा शुद्ध है. वह ब्राह्मण शुद्ध है जो संतुष्ट है।
3. जो व्यक्ति गुणों से रहित है लेकिन जिसकी लोग सराहना करते है वह दुनिया में काबिल माना जा सकता है. लेकिन जो आदमी खुद की ही डींगे हाकता है वो अपने आप को दुसरे की नजरो में गिराता है भले ही वह स्वर्ग का राजा इंद्र हो।
4. जिस प्रकार एक फूल में खुशबु है. तील में तेल है. लकड़ी में अग्नि है. दूध में घी है. गन्ने में गुड है. उसी प्रकार यदि आप ठीक से देखते हो तो हर व्यक्ति में परमात्मा है।
5. शेर से यह बढ़िया बात सीखे की आप जो भी करना चाहते हो एकदिली से और जबरदस्त प्रयास से करे।
6.बुद्धिमान व्यक्ति अपने इन्द्रियों को बगुले की तरह वश में करते हुए अपने लक्ष्य को जगह, समय और योग्यता का पूरा ध्यान रखते हुए पूर्ण करे।
7. मुर्गे से हे चार बाते सीखे.
१. सही समय पर उठे. २. नीडर बने और लडे. ३. संपत्ति का रिश्तेदारों से उचित
बटवारा करे. ४. अपने कष्ट से अपना रोजगार प्राप्त करे।
8. कौवे से ये पाच बाते सीखे… १. अपनी पत्नी के साथ एकांत में प्रणय करे. २. नीडरता ३. उपयोगी वस्तुओ का संचय करे. ४. सभी ओर दृष्टी घुमाये. ५. दुसरो पर आसानी से विश्वास ना करे।
9. कुत्ते से ये बाते सीखे १. बहुत भूख हो पर खाने को कुछ ना मिले या कम मिले तो भी संतोष करे. २. गाढ़ी नींद में हो तो भी क्षण में उठ जाए. ३. अपने स्वामी के प्रति बेहिचक इमानदारी रखे ४. नीडरता।
10. गधे से ये तीन बाते सीखे. १. अपना बोझा ढोना ना छोड़े. २. सर्दी गर्मी की चिंता ना करे. ३. सदा संतुष्ट रहे।
11. विद्यार्धी के लिए आवश्यक है कि वह इन आठ दोषों का त्याग करे: I. काम, II. क्रोध, III.लोभ, IV.स्वादिष्ठ पदार्थों या भोजन, V.श्रृंगार, VI.हंसी-मजाक, VII. निद्रा (नींद), VIII. अपनी शरीर सेवा में अधिक समय न दे। इन आठों दोषों के त्यागने से ही विद्यार्थी को विद्या प्राप्त हो सकती है।
12. अर्जित विद्या अभ्यास से सुरक्षित रहती है, घर की इज्जत अच्छे व्यवहार से सुरक्षित रहती है, एक इज्जतदार व्यक्ति अपने विशेष गुणों से पहचाना जाता है, और किसी भी व्यक्ति का गुुस्सा उसकी आँखो में दिखता है।
1. यमराज को भी कभी किसी के दुख से कोई मतलब नहीं होता है। उनका काम केवल लोगों के प्राण निकालना है और वह लोगों के प्राण निकाल कर चले जाते हैं। उसके घरवाले किस तकलीफ में हैं, किस स्थिति में है इससे यमराज को कोई मतलब नही होता। यम अगर पीड़ा को समझेंगे तो किसी की मृत्यु ही नहीं होगी।
2. जिसके हृदय में पाप घर कर चुका है, वह सैकडों बार तीर्थस्नान करके भी शुध्द नहीं हो सकता। ठीक उसी तरह जैसे कि मदिरा का पात्र अग्नि में झुलसने पर भी पवित्र नहीं होता
3. एक बेकार राज्य का राजा होने से यह बेहतर है कि व्यक्ति किसी राज्य का राजा ना हो। एक पापी का मित्र होने से बेहतर है की बिना मित्र का हो। एक मुर्ख का गुरु होने से बेहतर है कि बिना शिष्य वाला हो। एक बुरी पत्नी होने से बेहतर है कि बिना पत्नी वाला हो।
4. हमें ध्यान रखना चाहिए कि चाहे अनचाहे ही सही पर हमारे पैर कभी भी सात चीजों पर नहीं पड़ने चाहिए। अग्नि, गुरु, ब्राह्मण, गौ, कुमारी कन्या, वृद्ध और बालक पर अचानक पैर लगना भी अशुभ माना जाता है। ऐसा होने पर हमें माफी मांगनी चाहिए।
5. ये आठ लोग कभी किसी का दुःख नहीं समझ सकते हैं।
1. राजा 2. वेश्या 3. यमराज 4. अग्नि 5. चोर 6. छोटा बच्चा 7. भिखारी 8. कर वसूल करने वाला व्यक्ति।
6. सोना प्रकृति और मानवीय स्वभाव का अभिन्न अंग है। हर किसी को नींद आती है, लेकिन आचार्य चाणक्य नींद से ज्यादा प्रधानता कर्म को देते थे। उनका मानना था कि अगर आपका द्वारपाल, नौकर, राहगीर, भूखा व्यक्ति, भंडारी और विद्यार्थी सो रहे हैं तो उन्हें नींद से जगा देना चाहिए क्योंकि उनका कर्म कुछ और है और वो अक्सर कुछ और करने में तल्लीन रहते हैं।
7. किसी व्यक्ति के लिए पराए घर में या गुलाम बनकर रहना बड़ी दुर्भाग्य की बात है। जहां पर वह अपनी इच्छानुसार कोई भी काम नहीं कर सकता है। उसकी कुछ भी करने की आजादी नहीं है। जो कि उसके जीवन के लिए बहुत बड़ा संकट है।
8. ऐसे लोगों से बचे जो आपके मुह पर तो मीठी बातें करते हैं, लेकिन आपके पीठ पीछे आपको बर्बाद करने की योजना बनाते है, ऐसा करने वाले तो उस विष के घड़े के समान है जिसकी उपरी सतह दूध से भरी है।
9. रूप और यौवन से सम्पन्न तथा कुलीन परिवार में जन्म लेने पर भी विद्या हीन पुरुष पलाश के फूल के समान है जो सुन्दर तो है लेकिन खुशबु रहित है।
10.सैकड़ों गुणरहित पुत्रों से अच्छा एक गुणी पुत्र है क्योंकि एक चन्द्रमा ही रात्रि के अन्धकार को भगाता है, असंख्य तारे यह काम नहीं करते।
1. घर-परिवार में किसी की मृत्यु हो जाए, आपके ऊपर कोई बड़ी मुसीबत हो जाए, लेकिन जो कभी आपका साथ ना छोड़े, वह आपका शुभचिंतक है। भले ही वह आपसे नाराज हो, लेकिन आपको परेशानी में देखते ही मदद करने आए, ऐसे इंसान को कभी खुद से दूर ना करें। वह दिल से आपको चाहता है और इससे बड़ा शुभचिंतक आपके लिए कोई और नहीं हो सकता है।
2. वह पत्नी जो दूसरे पुरुष में रूचि रखती है, उसके लिए उसका पति ही उसका शत्रु है। जो चोर रात को काम करने निकलता है, चन्द्रमा ही उसका शत्रु है। भिखारी कंजूस आदमी का दुश्मन होता है, एक अच्छा सलाहकार एक मूर्ख आदमी का शत्रु है।
3. भाग दौड़ भरी जिंदगी में लोगों के पास अगर कमी है तो वो समय की। तरक्की की राह में लोग इतने मशगूल हो जाते हैं वो अपने घर और रिश्तों को समय नहीं दे पाते। इससे रिश्तों के बीच में धीरे-धीरे दरारें और गलफहमियां पैदा हो जाती है और बात रिश्ता हमेशा खत्म करने पर आ जाती है। तेजी से भागते समयचक्र में लोग एक-दूसरे के सुख और दुख के वक्त में नहीं पहुंच पाते है। ऐसी स्थिति आने में केवल समय का दोष नहीं होता बल्कि कहीं न कहीं आप भी जिम्मेदार होते हैं।
4. अगर आप ये जानते हैं कि आप क्या कर सकते हैं और क्या नहीं तो सफलता को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। जो काम आप कर सकते हैं उसी काम की जिम्मेदारी लें । इसके उलट अगर आप अपनी सामर्थ्य से अधिक काम पकड़ेंगे न सिर्फ आप असफल होंगे बल्कि आपको कार्यस्थल पर भी अपमान का सामना करना पड़ेगा।
5. कुत्ते के लिए उसकी दुम गर्व का सूचक नहीं होती। कुत्ते की पूंछ मक्खी, मच्छरों को उड़ाने के काम नहीं आती। उसी प्रकार काम ज्ञान वाले की बुद्धि बेकार होती है। इसलिए उसे अधिक से अधिक सीखते रहने का प्रयास करते रहना चाहिए।
6. यह सच है। की जितना भी धन मिल जाये वह कम है। लेकिन धन की असंतुष्टि इंसान को पागल बना देती है। अधिक धन पाने के लिए लोग गलत रास्ता अपना लेते है, जिसका परिणाम जिंदगी की बर्बादी के रूप में मिलता है।
7. जो व्यक्ति अपनी प्रेमिका, पत्नी को सुरक्षा का अहसास कराएं। उन्हें अच्छा माहौल दें। वहां पर कभी भी प्रेम कम नहीं होता है। ऐसा माना जाता है कि हर स्त्री अपने पति में अपने पिता की छाया देखती है, अगर आप उनके साथ सुरक्षात्मक व्यवहार करते हैं तो वह निश्चिंत होकर आपके साथ रहेगी।
8. यदि कोई पुरुष किसी दूसरे पर निर्भर रहता है तो उसका जीवन नर्क के समान रहता है वह कभी भी अपनी आजादी प्राप्त नहीं कर सकता है। दूसरों पर निर्भर रहने वाले व्यक्ति की किस्मत खराब मानी जाती है।
9. चाणक्य कहते हैं जो अल्प मति के लोग है वह मूर्ति के अंदर भगवान देखते हैं लेकिन जो व्यापक दृष्टि से देखने वाले लोग होते हैं वह यह बात अच्छे से जानते हैं कि भगवान सर्वव्यापी हैं।
10. यदि किसी स्थान पर झगड़ा हो रहा है और आपका उससे कोई संबंध नहीं है तो उसके बीच में कोई भी हस्तक्षेप गलती से भी नहीं करना चाहिए। अगर आपने गलती से उसमे हस्तक्षेप किया तो आगे चलकर आपके ऊपर बहुत बड़ी मुसीबत आ सकती है। इसलिए झगड़े वाले स्थान पर मौन रहना ही अच्छा है। अगर किसी स्थान पर लोग खुद की तारीफ खुद ही कर रहे होते है। या अपना अंहकार दिखा रहे होते है तो वैसे स्थान पर खामोश रहना चाहिए। ऐसी जगह पर बोलने वाले व्यक्ति का अपमान होता है। साथ ही वे लोग आपको नीचा दिखाने की भी कोशिश करेंगे। इसलिए एक बुद्धिमान व्यक्ति को इन दोनों स्थानों पर हमेशा खामोश ही रहना चाहिए।
11. सुंदरता की शोभा केवल गुणों से होती है। यदि किसी प्राणी में गुण नहीं है तो वह बिलकुल ही बेकार होता है। उसका यही हाल होता है। जो बंजर धरती का होता है। बंजर धरती को तो हम इसलिए तो बेकार कहते है। की उसमे कोई फसल पैदा नहीं होती।
12. चाणक्य ने अपनी निति में पाप गरीबी क्लेश और भय दूर करने के तरीके बताए है। यदि कोई आपसे कुछ कहे तो उस समय आपका चुप रहना ही उचित होता है। चुप रहने से क्लेश नहीं होगा और लोगो को यह पता नहीं चलेगा की आपके मन में क्या चल रहा है। और साथ ही हर समय चौकन्ना रहने से मन में किसी भी प्रकार का डर नहीं रहता। गरीबी से मुक्ति पानी हो तो दान करना सबसे अच्छा उपाय है। व्यक्ति को अपने शक्ति के अनुसार दान करना चाहिए। दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। और पुराने पाप धूल जाते है। पाप खत्म करने के लिए लगातार मंत्र जाप या पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से बुद्धि और मन निर्मल हो जाता है। जिससे प्राश्चित भी होता है और हर तरह के पाप खत्म हो जाते है।
1. चाणक्य के अनुसार इंसान जहां भी काम करता है, उसे उस जगह – स्थान के बारे में जानकारी होनी चाहिए। जैसे कि जिस जगह आप रह रहे है। वह जगह कैसी है ? वहां के हलात कैसे है ? जहां आप काम कर रहे है, वहां काम करने वाले लोग कैसे है? काम करने का तरीका कैसा है? अगर आपको इन सभी सवालों के बारे में जानकारी है तो सफलता कदम चूमेगी अगर नहीं है तो आप कभी भी सफल नहीं हो सकते।
2. ब्राह्मण जहां कभी भी खड़े हो उनके बीच मत जाओ क्योंकि ब्राह्मण का क्रोध बहुत बुरा होता है। पति पत्नी जब भी कहीं बैठे हो तो उनके बीच मत जाओ क्योंकि वह अपने मन की बात कर रहे होते है। उनका अपना दुःख सुख होता है, जो प्रेम संसार उन्होंने बसाया होता है वह किसी तीसरे के आने से उजड़ जाता है। हल और बैल के बीच में से गुजरने पर चोट लग जाती है।
3. धनवान को अपने आप ही मित्र मिल जाते है। धन मित्रता को जन्म देता है। धनवान के सब रिश्तेदार है। सत्य बात तो यह है कि जिसके पास धन है। वही सच्चा और इज्जतदार आदमी माना जाता है।
4. शांति से बड़ा कोई तप नहीं होता। क्योंकि गुस्से में इंसान अपना सब कुछ भूलकर पागल सा हो जाता है। यहां तक कि इसी बोझ के कारण मृत्यु की गोद में चला जाता है।
5. आग, पानी, सांप और राजा इन सबसे मित्रता करने से घाटा ही घाटा होता है। ये क्रोध में आकर प्राणी की जान भी ले सकते है। इनसे सबसे दूर रहने में ही लाभ है।
6. यह संसार दुखो का घर है हर प्राणी चिंता में डूबा रहता है। शांति के लिए साधु , संतान, पत्नी की शरण में जाना चाहिए थका हारा इंसान इनके पास जाकर तो अपने दुःख दूर कर सकता है।
7. अगर किसी वृद्ध की पत्नी मर जाएं, तो ये सबसे दुर्भाग्य की बात है। अगर पुरुष की पत्नी जवानी में मर जाती है, तो वह दूसरी शादी कर लेता है। वही बुढ़ापे में वो दूसरी शादी नहीं कर सकता है। जिसके कारण जिस समय उसे अपनी पत्नी की सबसे ज्यादा जरुरत है। वो उसे छोड़ चली गई। जिसके अकेलेपन के कारण मानसिक तनाव और निराशा बढ़ जाती है।
8. जिस जगह पर झगड़ा हो रहा हो वंहा पर कभी भी खड़े नहीं होना चाहिए, कंही बार ऐसे झगड़ो में बेगुनाह भी मारे जाते है।
9. ऐसा व्यक्ति जिसमें चतुराई या चालाकी न हो। वह कभी भी आपको धोखा नहीं दे सकता, क्योंकि ऐसा व्यक्ति आपके लिए यदि कोई कार्य करेगा तो वह बिना स्वार्थ के ही करेगा। वह आपके किसी काम को करते समय आपका लाभ पहले सोचेगा बजाय अपने लाभ को सोचे। तो इसलिए ऐसे व्यक्तियों पर आप आँख बंद करके भरोसा कर सकते है।
10. एक अच्छा मित्र वही है जो आवश्यकता पड़ने पर काम आए। यदि गलती से मित्र बने हुए शत्रु से मदद मांग ली तो आपको और समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
1. किसी सभा में कब क्या बोलना चाहिए, किससे प्रेम करना चाहिए तथा कहां पर कितना क्रोध करना चाहिए जो इन सब बातों को जानता है, उसे पण्डित अर्थात ज्ञानी व्यक्ति कहा जाता है।
2. घर से बाहर विदेश में रहने पर विद्या मित्र होती है, घर में पत्नी मित्र होती है, रोगी के लिए दवा मित्र होती है तथा मृत्यु के बाद व्यक्ति का धर्म ही मित्र होता है।
3. जो महेनती है, वो गरीब नहीं हो सकते, हरदम भगवान को याद करने वालो को कभी भी पाप नहीं छू सकता, जो चुप और शांत रहे है वो झगड़ों में नहीं पड़ते, जागृत लोग निडर रहते है।
4. आखों से देखकर पैर रखना चाहिए, कपड़े से शुद्ध करके पानी पीना चाहिए, शास्त्र से शुद्ध करके वचन बोलने चाहिए और मन में विचार करके कार्य करना चाहिए।
5. मूर्ख व्यक्ति को दो पैरोंवाला पशु समझकर त्याग देना चाहिए, क्योंकि वह अपने शब्दों से शूल के समान उसी तरह भेदता रहता है, जैसे अदृश्य कांटा चुभ जाता है|
6. धन का नाश हो जाने पर, मन में दुखः होने पर, पत्नी के चाल – चलन का पता लगने पर, नीच व्यक्ति से कुछ घटिया बातें सुन लेने पर तथा स्वयं कहीं से अपमानित होने पर अपने मन की बातों को किसी को नहीं बताना चाहिए । यही समझदारी है।
7. जिसके घर में माता न हो और स्त्री क्लेश करने वाली हो , उसे वन में चले जाना चाहिए क्योंकि उसके लिए घर और वन दोनों समान ही हैं ।
8. दान से ही हाथों की सुन्दरता है, न कि कंगन पहनने से, शरीर स्नान से ही शुद्ध होता है न कि चन्दन का लेप लगाने से, तृप्ति मान से होता है, न कि भोजन से, मोक्ष ज्ञान से मिलता है, न कि श्रृंगार से ।
9. धर्म में यदि दया न हो तो उसे त्याग देना चाहिए । विद्याहीन गुरु को, क्रोधी पत्नी को तथा स्नेहहीन बान्धवों को भी त्याग देना चाहिए ।
10. जो व्यक्ति स्पष्ट , साफ , सीधी बात करता है उस व्यक्ति की वाणी तीव्र एवम कठोर होती जरूर है लेकिन ऐसा व्यक्ति किसी को धोखा नहीं देता।