Chanakya Niti

Chanakya Neeti – Practical Lessons for Everyone

16 Jul , 2019  

1. यदि आप प्रयास करने के बाद भी असफल हो जाये, तो उस व्यक्ति से हर हाल में बेहतर होंगे जिसको बिना किसी प्रयास के सफलता मिल गई हो ।  

 

Chanakya

 

2. जैसे हजारों गायों में भी बछड़ा अपनी माता को पहचान कर उसी के पास जाता है उसी प्रकार व्यक्ति जो भी कर्म करता है वह कर्म भी उसके पीछे पीछे चलता है अर्थात व्यक्ति को अपने कर्मों का फल भोगना अवश्य ही पड़ता है 

 

3. भाग्य के सहारे रहने वालों का नाश हो जाता है ऐसा बताया गया है व्यक्ति को मुसीबत आने से पहले उससे बचने का हल सोच लेना चाहिए

4 बुद्धि के बिना ताकत भी बेकार है।  जिसके पास ताकत है किन्तु बुद्धि नहीं, ऐसे लोग अपने से कमजोर इंसान से भी हार जाते है। 

 

5 कष्ट और विपत्ति मनुष्य को शिक्षा देने वाले श्रेष्ठ गुण है। जो साहस के साथ उनका सामना करते है, वे विजयी होते है। 

 

6. बुराई इसलिए नहीं पनपती की बुरा करने वाले लोग बढ़ गए है, बल्कि इसलिए बढ़ती है की बुराई सहन करने वाले लोग बढ़ गए है। 

 

7. यदि आप किसी अन्य व्यक्ति के लिए किसी को छोड़ देते हो तो इस बात पर हैरान मत होना, अगर वह व्यक्ति आपको किसी के लिए छोड़ दे। 

 

8. जो लोग मौका पड़ने पर आपको याद करते है और उन्हें दोस्ती की याद केवल उसी समय आती है , जब वह मुसीबत में होते है। ऐसे लोगो से भी चाणक्य ने दूर रहने के लिए कहा है। ऐसे लोग जरूरत पड़ने पर आपके साथ होते है, और बाद में आपका साथ छोड़ देते है। 

 

9. अपने कर्म पर विश्वाश रखिये  राशियों पर नहीं राशि तो राम और रावण के भी एक ही थी लेकिन नियति ने उन्हें फल उनके कर्म के अनुसार दिया। 

 

10. आमदनी पर्याप्त न होने पर खर्चो पर नियंत्रण रखिये और जानकारी पर्याप्त न हो तो शब्दों पर नियत्रण रखिये। 

 

11. जिंदगी की रेस में जो लोग आपको दौड़कर नहीं हरा पाते वो आपको तोड़कर हराने की कोशिश करते है। 

 

12. अगर किसी व्यक्ति के पास आवश्यकता से अधिक धन हो जाता है तो वह उससे जरूरत की चीजें खरीदने के बाद धन के दुरूपयोग के बारे में भी सोचने लगता है। उसको गलत आदतें पड़ जाती है। ऐसे धन को उन्होंने जहर के समान माना है। जो आपका भला करने की बजाए आपका बुरा करे। 

 

Chanakya Niti

10 Life Lessons from Chanakya Neeti Should Follow us

11 Jul , 2019  

1. रोग सांप और शत्रु इन्हे कभी घायल करके न छोड़े। रोग का पूरा उपचार नहीं हुआ तो वह फिर से प्रभावी होकर उभर सकता है। सांप को घायल छोड़ दिया तो वह और भी घातक हो सकता है। शत्रु अगर घायल होकर बच गया तो वह अंदर ही अंदर बदले की आग में जलता है। और फिर हमला कर सकता है। इसलिए शत्रु पर वर करो तो ऐसा की वह फिर उठ न सके। 

 

 

Chanakya Niti

 

2. यदि कोई सर्प जहरीला न भी हो तो भी उसे फुफकार मारना कभी भी नहीं छोड़ना चाहिए इसी तरह यदि कोई व्यक्ति कमजोर भले ही हो उसे कभी अपनी कमजोरी का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए। 

3. अगर समझाने से लोग समझ जाते तो बांसुरी बजाने वाला कभी महाभारत होने नहीं देता। 

 

4. अपनी सफलता का रोब माता – पिता को मत दिखाओ क्योंकि उन्होंने अपनी जिन्दगी हार कर आपको जिताया है। 

 

5. जो शक्ति न होते हुए भी मन से हार नहीं मानता है, उसको दुनिया की कोई ताकत नहीं परास्त कर सकती।

 

6. इंसान असफल तब नहीं होता जब वो हार जाता है।  असफल तब होता जब वो ये सोच ले की अब वो जीत नहीं सकता। 

 

7. खुद को अगर जिंदा समझते हो तो गलत का विरोध करना सीखो, क्योंकि लहर के साथ लाशे बहा करती है तैराक नहीं। 

 

8. उन लोगो को कभी न भूले जिन्होंने आपका साथ तब दिया जब आपके पास कोई नहीं था। 

 

9. पानी की एक एक बूंद गिरने से घड़ा भर जाता है।  इसी तरह धीरे धीरे अभ्यास करने से सब विद्याओं की प्रप्ति हो जाती है तथा थोड़ा – थोड़ा करके धन का संचय भी हो जाता है। 

 

10. जो व्यक्ति किसी दूसरे की स्त्री को माता की भांति पराए धन को मिट्टी के ढेले की भांति और समस्त प्राणियों को अपनी आत्मा की भांति देखता वह समझता है वस्तुतः वही ठीक-ठाक देखने वाला होता है

 

Chanakya Niti

Top 12 Superb Life Lessons from Chanakya Neeti

1 Jul , 2019  

1. जीवन में सफलता पाने के लिए एक श्रेष्ठ गुरु का होना बहुत जरूरी माना गया है। गुरु ही मनुष्य को सही और गलत में फर्क करना और जिम्मेदारियों का पालन करना सिखाता है जो व्यक्ति अपने गुरु और उनके द्वारा दी गई शिक्षा पर विश्वास नहीं रखता है। उसे जीवन में कई कठिनाइयो का सामना करना पड़ता है। 

Chanakya niti

2. सोने के साथ मिलकर चांदी भी सोने जैसी दिखाई पड़ती है अर्थात सत्संग का प्रभाव मनुष्य पर अवश्य पड़ता है।

 

3. जिस आदमी से हमें काम लेना है , उनसे हमे वही बात करनी चाहिए।  जो उसे अच्छी लगे। जैसे एक शिकारी हिरन का शिकार करने से पहले मधुर आवाज में गाता है। 

 

4. जो जिस कार्ये में कुशल हो उसे उसी कार्ये में लगना चाहिए।

 

5. गरीब धन की इच्छा करता है, पशु बोलने योग्य होने की, आदमी स्वर्ग की इच्छा करते हैं और धार्मिक लोग मोक्ष की।

 

6. कभी किसी के सामने अपनी सफाई पेश मत करना क्योकि जिसे तुम पर विश्वास है उसे सफाई देने की जरूरत नहीं और जिसे तुम पर विश्वास नहीं वो मानेगा नहीं। 

 

7. ज्ञान का उपयोग में न लाया जाये तो वह खो जाता है। इसलिए हमें अपने ज्ञान का उपयोग समाज के कल्याण और मानव जाति की भलाई में करना चाहिए । 

 

8. बचपन के अलावा उम्र के किसी भी स्तर पर यदि व्यक्ति अपने भोजन के लिए दुसरो पर निर्भर रहता है।  तो वह अभागा होता है। हमें अपनी युवा अवस्था में बुढ़ापे के लिए उचित व्यवस्था करनी चाहिए। 

 

9. एक राजा की ताकत उसकी शक्तिशाली भुजाओं में होती है। ब्राह्मण की ताकत उसके आध्यात्मिक ज्ञान में और एक औरत की ताक़त उसकी खूबसूरती, यौवन और मधुर वाणी में होती है।

 

10. जिसके मन में पाप का वास हो गया है वह बाहर से कितनी भी कोशिश कर ले खुद को साफ दिखाने का उसका मन वैसा ही रहता है। जैसे बर्तन में रखी शराब आग में झुलसने के बाद भी पवित्र नहीं होती

 

11. जिस स्थान पर ज्ञानी और विद्वान्  लोग रहते है। उस स्थान पर घर बनाना सुखद होता है। ऐसे लोगो के साथ से आचरण सही रहता है।  और बच्चो की परवरिश के लिए सही माहौल मिलता है। 

 

12. जो बीत गया, सो बीत गया।  यदि हमसे कोई गलत काम हो गया है तो उसकी चिंता न करते हुए वर्तमान को सुधारकर भविष्य को संवारना चाहिए। 

Chanakya Niti

Best and Important Life Lessons of Chanakya Neeti

20 Jun , 2019  

 

1. एक परिवार को बचाने के लिए एक मनुष्य, एक गांव को बचने के लिए एक परिवार तथा संपूर्ण राज्य को बचाने के लिए एक गांव का बहिष्कार करना पड़े तो इसमें कोई गलत बात नहीं है।

Chanakya NIti

 

2. कर्ज दुश्मन और बीमारी को हमेशा के लिए ख़त्म कर देना चाहिए। जो व्यक्ति ऐसा नहीं करता उसका जीवन सदैव के लिए नर्क बन जाता है।  

 

3. अति रूपवती होने के कारण देवी सीता का अपहरण हुआ था । अति गर्व के कारण रावण मारा गया । अति दान शील होने के कारण राजा बलि को अपना राजपाट त्यागना पड़ा था ।  इन सबसे शिक्षा लेकर अति का त्याग करना चाहिए।

 

4. कभी भी किसी से अपने धन की हानि के बारे में नहीं कहना चाहिए । अगर आपका व्यापर में घाटा हो रहा है । या किसी और कारण से आपको धन का नुकसान हुआ तो आप किसी से भी इसका जिक्र न करे इस बात को अपने तक ही सिमित रखे । क्योकि आप किसी को इस बारे में बताएंगे तो वह आपकी मदद के लिए नहीं आएंगे बल्कि झूठी तसल्ली ही देंगे, और आपसे दूर हो जाएंगे इनके अनुसार समाज में गरीब लोगो को इज्जत नहीं मिलती है।  

 

5. अपनी निजी समस्याओं को किसी और से सांझा नहीं करना चाहिए, इससे लोग आपकी पीठ पीछे आपके ऊपर हँसेगे । क्योंकि किसी को भी आपकी समस्या से कोई लेना देना नहीं होता है । आपका दुःख दुसरो को सुख का अनुभव देता है।   

 

6. एक पुरुष को अपनी पत्नी के चरित्र के बारे में किसी से नहीं कहना चाहिए । आख़िरकार सबसे बुद्धिमान व्यक्ति वही होता है  जो अपनी पत्नी से जुडी हुई कोई बात किसी से नहीं कहता है । जो व्यक्ति ज्यादा बातूनी होता है और अपनी सभी निजी बाते किसी और से कहता है उसे बाद में गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते है।

 

7. एक मनुष्य को हमेशा इस बात को रहस्य रखना चाहिए  कि उसकी बेइज्जती उससे किसी छोटे आदमी ने की है । अगर इस घटना को आप लोगो से साँझा करते है तो आपका मजाक बन सकता है । इससे आपकी गरीमा को ठेस पहुँच सकती है और आपके अहंकार को चोट लग सकती है, जिससे आपका आत्मविश्वाश डगमगा सकता है।

 

8.  कुछ लोग हालत बदलने का प्रयास नहीं करते. जीवन जैसे चल रहा है, बस जीते चले जाते है. पर जो प्रगति करना चाहते है, उपर उठना चाहते है – वे अपना सब कुछ दांव पर लगाने से नहीं डरते. संभावना है कि वे हार जाएं, कुछ न कर पाए लेकिन यह जो कुछ कर दिखाने का प्रयास है – यही उन्हें औरो से अलग बनता है।

 

9. अधिक लाड प्यार करने से बच्चों में अनेक दोष उत्पन्न  हो जाते है। इसलिए यदि वे कोई गलत काम करते है तो उसे नजरअंदाज करके लाड प्यार करना उचित नहीं है । बच्चो को डांटना भी आवश्यक है।  

 

10. जिस प्रकार पत्नी के वियोग का दुःख, अपने भाई – बंधुओं  से प्राप्त अपमान का दुःख असहनीय होता है, उसी प्रकार कर्ज से दबा व्यक्ति भी हर समय दुखी रहता है। दुष्ट राजा की सेवा में रहने वाला नौकर  हर समय दुखी रहता है। निर्धनता का अभिशाप भी मनुष्य कभी भुला नहीं पाता। इनसे व्यक्ति की आत्मा अंदर ही अंदर जलती रहती है।

 

Chanakya Niti

10 Rules of Chanakya Policy for Success

10 May , 2019  

1. साधुजन के दर्शन से पुण्य प्राप्त होता है । साधु तीर्थो के समान होते है ।  तीर्थो का फल तो कुछ समय बाद मिलता है, किन्तु साधु समागम तुरंत फल देता है ।

 

 

Chanakya NIti

 

2. गुणों से ही मनुष्य बड़ा बनता है, न कि किसी ऊंचे स्थान पर बैठ जाने से । राजमहल के शीर्ष पर बैठ जाने भी कोआ गरुड़ नहीं बनता ।

 

3. दुष्ट व्यक्ति दूसरे की उन्नति को देखकर जलता है । वह स्वयं उन्नति नहीं कर सकता, इसलिए निन्दा करने लगता है ।

 

4. दुष्ट और सांप में सांप अच्छा है  क्योंकि सांप तो एक ही बार डसता है किन्तु दुष्ट तो पग पग पर डसता रहता है ।

 

5. प्राप्त धन, भोजन और अपनी स्त्री में ही संतोष करना चाहिए लेकिन ज्ञानार्जन, तप और दान करने में कभी संतुष्ट नहीं होना चाहिए । इन्हे लगातार बढ़ाते रहना चाहिए ।  

 

6. चिंतन सदैव अकेले ही किया जाए, ताकि विचार भंग होने की संभावना न रहे । पढ़ाई में दो, गायन में तीन, यात्रा में चार और खेती में पांच व्यक्तियों को उत्तम माना गया है । ऐसी प्रकार युद्ध में अधिक संख्याबल का महत्व बढ़ जाता है ।

 

7. विद्धान सर्वत्र सम्माननीय होता है । अपने उच्च गुणों के कारण देश – विदेश सभी जगह वह पूजनीय होता है अथार्त विदया ही सर्वोच्च धन है ।  विदया के कारण ही खाली हाथ होने पर भी विदेश में धनार्जन किया जा सकता है तथा मान सम्मान बढ़ाया जा सकता है । विदया के आभाव में उच्च कुल में जन्मा व्यक्ति भी सम्मान नहीं पाता ।

 

8. बुरे आदमी व अज्ञानी से बचने के दो उपाय है – या तो जूतों से मुख मर्दन करना अथवा दूर से ही उन्हें देखकर अपनी राह बदल लेना ।

 

9. इस संसार में अनगिनत वेदशास्त्र और बहुत सी विधाएं हैं परन्तु दूसरी और देखें तो समय भी बहुत कम है । इसलिए इन शास्त्रों के अर्थ को ही समझना चाहिए । जैसे हम दूध और पानी के मिश्रण में से केवल दूध को पी लेते है, पानी को छोड़ देते है ।

 

10. अपमानित होकर जीने से तो मर जाना अधिक अच्छा है, क्योकि मरते समय केवल क्षण भर ही तो दुःख होता है । लेकिन अपमानित होने पर तो हर रोज ही दुःख होता है ।  

 

Chanakya Niti

Success is Guaranteed by these 12 Policies of Chanakya

19 Mar , 2019  

1. पानी की एक – एक बूंद गिरने से घड़ा भर जाता है । एक – एक बूंद मिलकर दरिया बनता है । धीरे – धीरे  अभ्यास करने से हर विद्या आ जाती है । इसी प्रकार यदि आप थोड़ा – थोड़ा धन जमा करते रहे तो बहुत सा धन आपके पास जमा हो जाएगा ।

?????????????

2.  दरिद्रता उस समय तक दुःख नहीं देती जब तक कि आपके पास धैर्य है । गन्दा वस्त्र साफ रखने से बहुत सुन्दर लगने लगता है । बुरा खाना भी यदि गर्म हो तो खाने में स्वादिष्ट लगता है । असुन्दर नारी यदि गुणवान है तो भी प्रिय लगती है ।

3. गुणवान पुरुष यदि परमात्मा के समान हो तो भी अकेला रहने पर दुःख उठाता है । जैसे बहुत कीमती हीरा भी सोने में जड़ा जाने का इंतजार करता है । इसी प्रकार उस गुणवान पुरुष को भी किसी न किसी सहारे की तलाश रहती है ।

4. जो राजा अपने अच्छे सहयोगियों से मंत्रणा करता है, वह अपने हर कार्य में सफल हो जाता है । जिस व्यक्ति में कोई गुण नहीं, ज्ञान नहीं, ऐसे व्यक्ति से कभी भी कोई मंत्रणा न करें और न ही उसे राजनीति की गुप्त बात बताएं ।    

5. जो लोग सकंट आने से पूर्व ही अपना बचाव कर लेते है और जिन्हें ठीक समय पर अपनी रक्षा का उपाय सूझ लेता है । ऐसे सब लोग सदा सुखों के झूले में झूलते हैं और खुश रहते है । परंतु जो लोग सदा यही सोचकर की जो भाग्य में लिखा हैं वही तो होगा भला कोई उसे बदल सकता है ? इसलिए जो होता है होने दो । ऐसा सोचने वाले लोग कभी सुख नहीं पा सकते, वे अपने जीवन को स्वयं नष्ट करते है।  भाग्य की लकीरों को वे अपने कर्म और परिश्रम से बदलने का प्रयास क्यों नहीं करते ?

6. बन्धन और मोक्ष का कारण केवल हमारा यह मन ही होता है और यदि यही मन विषय विकारों में फंसकर  जीवन के लक्ष्य से भटक जाए तो प्राणी पाप के मार्ग पर चलने लगते है । इसलिए यदि आप मोक्ष चाहते है  अपने मन से विषय – विकारों को निकाल दें । विषय – विकार, काम, लोभ – मोह, अहंकार यह जिस मन में रहते है वह मन कभी शांत नहीं रह सकता ।

7. पति की इच्छा विरुद्ध पत्नी को कोई कार्य नहीं करना चाहिए।  यहां तक की पति की इच्छा के विरुद्ध उपवास – व्रत आदि भी नहीं करने चाहिए, क्योंकि इस तरह पति की आयु कम होती है और पत्नी को घोर नरक का पाप मिलता है ।  

8. लक्ष्मी चंचल  है । प्राण , जीवन , शरीर सब कुछ  चंचल और नाशवान है । संसार में केवल धर्म ही निश्चल है ।

9. दरिद्रता, रोग, दुःख, बंधन और व्यसन सभी मनुष्य के अपराध रूपी वृक्षों के फल है ।

10.धार्मिक कथाओं को सुनने पर, शमशान में तथा रोगियों को देखकर व्यक्ति की बुद्धि को वैराग्य हो जाता है, यदि ऐसा वैराग्य सदा बना रहे तो भला कौन संसार के इन झूठे बंदनों से मुक्त नहीं होगा ।

11. जैसे फल में गंध, तिलों में तेल, काष्ठ में अग्नि, दुग्ध में घी, गन्ने में गुड़ है, उसी तरह शरीर में परमात्मा है । इसे पहचाना चाहिए ।

12. ईश्वर न काष्ठ में है,  न मिट्टी में , न मूर्ति में । वह केवल भावना में है । अतः भावना ही मुख्य है । कहा भी गया है —

जाकी रही भावना जैसी,

प्रभु मूरत तिन देखी तैसी ।

 

Chanakya Niti

Tips to Get Success in Life of Chanakya Niti

11 Mar , 2019  

1. प्रजा के पाप का फल राजा, राजा के पाप का फल राजपुरोहित, शिष्य के पाप का फल गुरु और स्त्री के पाप का फल पति को भोगना पड़ता है ।

Chanakya NIti

2. प्रतिदिन हमें कुछ न कुछ नया ग्रहण करना चाहिए, फिर चाहे वह एक श्लोक, उसका एक अंश अथवा एक शब्द मात्र ही क्यों न हो । एक – एक शब्द ही एक दिन विशाल समुंद्र का रूप धारण कर लेता है ।

 

3. दूसरों का सहारा लेने पर व्यक्ति का स्वयं का अस्तित्व गौण हो जाता है, जिस प्रकार सूर्योदय होने पर चन्द्रमा का प्रकाश चमक खो बैठता है । अतः महान वही है जो अपने बल पर खड़ा है ।

 

4. अतिथि का सत्कार न करने वाला, थके – हारे को आश्रय न देने वाला और दूसरे का हिस्सा हड़प करने वाला, ये सब लोग महापापी होते है ।

 

5. सीधेपन का लोग लाभ उठाते ही है । मनुष्य को इतना ज्यादा भी सरल – हदयी नहीं होना चाहिए कि हर कोई उसे ठग ले । जंगल में सीधे खड़े वृक्षों को ही काटा जाता है । टेड़े मेढे वृक्ष मजे से सीना ताने खड़े रहते है ।

 

6. बुरे मित्र का न होना ही अच्छा  है, बुरे राजा से बिना राजा होना अच्छा, सदाचरण से रहित शिष्य से शिष्य का न होना अच्छा और आचरणहीन स्त्री से बिना स्त्री के रहना ही उचित कहा गया है ।

 

7. धन, दोस्त , नारी, सम्पति, राज्य । यह सब तो बार – बार मिल सकते है परन्तु यह मानव शरीर यदि एक बार चला जाए तो फिर वापिस नहीं मिल सकता ।

 

8. जिस मानव के गुणों की प्रशंसा दूसरे लोग उसकी पीठ के पीछे करें, भले ही वह गुणहीन क्यों न हो परन्तु उसे ही गुणवान माना जाएगा किन्तु यदि इन्द्र भी अपने मुंह से अपनी प्रशंसा करे तो उसे छोटापन माना जाएगा ।

 

9. पत्नी नाना प्रकार के दान, व्रत – उपवास, तीर्थ सेवन करके भी उतनी पवित्र नहीं होती जितनी पति सेवा करने से होती है ।

 

10. जिस व्यक्ति की पत्नी सदाचारिणी हो, धन भी भरपूर हो, पुत्र गुणवान हों, प्रपौत्र भी हो तो उसके लिए यह धरती ही स्वर्ग है । क्योंकि स्वर्ग में भी इससे बढ़कर तो कुछ और हो ही नहीं सकता ।

 

Chanakya Niti

10 Thoughts of Chanakya Niti that Can Change Your Life

4 Mar , 2019  

1.जो स्त्री पतिव्रता है, प्रेमी है, सत्य बोलती है, पवित्र और चतुर है – वह निश्चत ही वरणीय है । ऐसी स्त्री पाने वाला सचमुच ही सौभाग्यशाली होगा ।

Chanakya Niti

2. भावनाएं आदमी को आदमी से जोड़ती है । दूर रहने वाला भी यदि हमारा प्रिय है तो वह हमेशा दिल के पास रहता है । जबकि पडोस में रहने वाला भी हमारे दिल से  कोसों दूर ही रहता है क्योकि उसके लिए हमारे दिल में जगह नहीं होती ।

3. बुद्धिमान वही है जो अपनी कमियों को किसी पर उजागर न करे । घर  की गुप्त बातें, धन का विनाश, निकृष्टों द्धारा धोखा, अपमान, मन का संताप इन बातों को अपने तक ही सीमित रखना चाहिए ।

4. अपने रहस्य हर किसी पर उजागर नहीं करने चाहिए, कुछ रहस्य तो ऐसे कहे गए है, जिन्हे अपनी पत्नी से भी छुपाना चाहिए । अतः यहां सावधानी बरतनी आवश्यक है ।

5.दिन में दीपक जलाना, समुंद्र में वर्षा, भरे पेट के लिये भोजन और धनवान को धन देना व्यर्थ है ।

6. कन्या के लिए सदा श्रेष्ठ कुल का वर ही तलाश करना चाहिए ।  पुत्र को शिक्षा प्राप्त करने में लगाना चाहिए । शत्रु को सदा कष्टों और मुसीबतों के घेरे में जकड़े रखना चाहिए और मित्र को सदा धर्म – कर्म के कार्यों में लगा देना चाहिए ।

 

7. जब दुर्जन और सांप आपके सामने हो तो इनमें से जब एक को चुनना हो तो सांप दुर्जन से अच्छा होता है । क्योंकि सांप  तो काल के आ जाने पर ही काटता है किन्तु दुर्जन तो पग पग पर नुकसान पहुंचाता है ।

 

8. स्त्री सब कुछ कर सकती है, कवि सब – कुछ देख सकता है, शराबी सब कुछ कह सकता है, कौआ सब कुछ खा सकता है । मनुष्य का स्वभाव ही उसे उच्च व निम्न बनता है ।

 

9. समझदार वही है जो फूंक – फूंककर कदम रखे, पानी को छानकर पिए, शास्त्रानुसार वाक्य बोले और सोच – विचारकर कर्म करे । इस तरह किये गए कार्य में सफलता अवश्य मिलती है ।

 

10 दुर्जन को साहस से, बलवान को अनुकूल व्यवहार से और समान शक्तिशाली को नम्रता से अथवा अपनी शक्ति से वश में करना चाहिए ।

Chanakya Niti

Top 10 Important Points of Chanakya Niti

20 Feb , 2019  

1. मनुष्य  अकेला जन्म  लेता है, अकेला  दुःख भोगता है, अकेला ही मोक्ष का अधिकारी होता है और अकेला ही नरक में जाता है अंतः रिश्ते नाते जो क्षण भंगुर है  हमें अकेले ही दुनिया के मंच पर अभिनय करना पड़ता है

 

chanakya niti

2 सुपात्र को दिए गए दान का फल अनंत काल तक मिलता रहता है भूखे को दिए गए भोजन का यश कभी खत्म नहीं होता दान सबसे महान कार्य है

3. कर्म विदया, सम्पति, आयु और मृत्यु | मनुष्य की ये पांच चीजे गर्भ धारण के वक्त ही मिल जाती है |

4 . पराई स्त्री के साथ व्यभिचार करने वाला, गुरु और देवता का धन हरण करने वाला और हर तरह के प्राणियो के बीच रहने वाला यदि ब्राहमण भी है तो वह चाण्डाल कहलाएगा

5. अपमान, क़र्ज़ का बोझ, दुष्टों की सेवा – अनुचरी , दरिदरता, पत्नी की मृत्यु आदि बिना तप के ही शरीर को जला देती है |

6. अप्रिय बोलना, दुष्टों की संगति, क्रोध करना, स्वजन से बैर ये सब नरकवासियों के लक्षण है |

7. किसी से अपना काम निकलवाना हो तो मधुर वचन बोले । जिस प्रकार हिरन का शिकार करने के लिए शिकारी मधुर स्वर में गीत गाता है ।

8. परमात्मा का ज्ञान हो जाने पर देह का अभिमान गल जाता है । तब मन जहां भी जाता है, वही समाधि लग जाती है ।

9. दुष्टों तथा कांटो का दो ही प्रकार का उपचार है – जूतों से कुचल देना या दूर से ही उन्हें देखकर मार्ग बदल लेना ।

10. दुष्टों का साथ छोड़ दो , सज्जनों का साथ करो, रात – दिन अच्छे काम करो तथा सदा ईश्वर को याद करो ।

Chanakya Niti,story

Chanakaya Ki Prtigya

5 Sep , 2018  

“यह कौन है ? काला -कलूटा भूत जैसा कुरूप ! जिसकी शक्ल देखने से ही मन खराब हो जाता हैं |कैसे आया यह हमारे राज दरबार मे ? कैसे बैठ यह मनहूस हमारे सामने ? ” राजा नन्द क्रोध से लाल पीला होता हुआ चीख उठा |उसकी आँखों से जैसे अंगारे बरस रहे थे |क्रोध के मारे उसके हाथ -पांव कांप रहे थे ऐसा प्रतीत होता था मानो राजा नन्द सामने बैठे उस काले आदमी को मृत्युदंड देगा | लेकिन न जाने कौन सी मजबूरी थी जिसके कारण वह अभी तक उसे मृत्युदंड न दे सका था | chanaky “महाराज ! आप को थूक दिजिय | यह तो हमारे  महापण्डित विष्णुगुप्त  शर्मा हैं |” महामंत्री ने राजा का गुस्सा ठंडा करने का प्रयास करते हुए  नम्रतापूर्वक कहा | “नही …नही …ऐसे भयंकर चेहरे वाला ,बहुत की नस्ल का आदमी कभी भी महापंडित नही हो सकता |इसे देखते ही मेरा मन खराब हो रहा हैं | यह ब्राहमण हैं अथवा कोई चंडाल ? निकाल दो इसे हमारे दरबार से |दूर कर दो इसे मेरी नजरो से |कही ऐसा न हो कि मुझे इसका वध करने का आदेश देना पड़े | सभा मे बैठे पण्डित विष्णुगुप्त के मन मे यह अपमानजनक  शब्द सुनकर क्या बीती होगी ? एक तो ब्राहमण और उस पर इतना बड़ा विद्वान् | इतने पर भी वह त्यागी और तपस्वी | ब्राहमण  का क्रोध तो दुनिया भर मे प्रसिद हैं | मगर त्यागी , तपस्वी और विद्वान् का अपमान जब कोई मुर्ख करता हैं | तो ब्राहमण  की  सहन शक्ति  भी दम तोड़ देती हैं | ब्राहमण के पास कोई हथियार नही होता | मगर उसका प्रचंड क्रोध जब प्रकट  होता हैं तो बडो -बडो का भी नाश कर देता हैं |उसका शाप कई कुलो को नाश कर देता हैं |उसकी बुदी  की शक्ति से बड़े -बड़े बहादुर राजा भी धुल चाटने पर मजबूर हो जाते हैं | ऐसे ही एक ब्राहमण का नाम था पण्डित विष्णुगुप्त शर्मा अथार्त  चाणक्य | उसने राजा नन्द अपमानजनक  शब्द सुनकर यह प्रतिज्ञा की थी —-“मै इस राजा का नाश करके रहूँगा  |जब तक इस अपमान का बदला न ले लू ,तब तक मै चैन से नही बैठुगा | जब तक इस राजा की मुर्खता का सबक इसको न सिखा दूंगा ,तब तक सिर के बाल नही संवारूँगा “