Chanakya Niti

Best and Important Life Lessons of Chanakya Neeti

20 Jun , 2019  

 

1. एक परिवार को बचाने के लिए एक मनुष्य, एक गांव को बचने के लिए एक परिवार तथा संपूर्ण राज्य को बचाने के लिए एक गांव का बहिष्कार करना पड़े तो इसमें कोई गलत बात नहीं है।

Chanakya NIti

 

2. कर्ज दुश्मन और बीमारी को हमेशा के लिए ख़त्म कर देना चाहिए। जो व्यक्ति ऐसा नहीं करता उसका जीवन सदैव के लिए नर्क बन जाता है।  

 

3. अति रूपवती होने के कारण देवी सीता का अपहरण हुआ था । अति गर्व के कारण रावण मारा गया । अति दान शील होने के कारण राजा बलि को अपना राजपाट त्यागना पड़ा था ।  इन सबसे शिक्षा लेकर अति का त्याग करना चाहिए।

 

4. कभी भी किसी से अपने धन की हानि के बारे में नहीं कहना चाहिए । अगर आपका व्यापर में घाटा हो रहा है । या किसी और कारण से आपको धन का नुकसान हुआ तो आप किसी से भी इसका जिक्र न करे इस बात को अपने तक ही सिमित रखे । क्योकि आप किसी को इस बारे में बताएंगे तो वह आपकी मदद के लिए नहीं आएंगे बल्कि झूठी तसल्ली ही देंगे, और आपसे दूर हो जाएंगे इनके अनुसार समाज में गरीब लोगो को इज्जत नहीं मिलती है।  

 

5. अपनी निजी समस्याओं को किसी और से सांझा नहीं करना चाहिए, इससे लोग आपकी पीठ पीछे आपके ऊपर हँसेगे । क्योंकि किसी को भी आपकी समस्या से कोई लेना देना नहीं होता है । आपका दुःख दुसरो को सुख का अनुभव देता है।   

 

6. एक पुरुष को अपनी पत्नी के चरित्र के बारे में किसी से नहीं कहना चाहिए । आख़िरकार सबसे बुद्धिमान व्यक्ति वही होता है  जो अपनी पत्नी से जुडी हुई कोई बात किसी से नहीं कहता है । जो व्यक्ति ज्यादा बातूनी होता है और अपनी सभी निजी बाते किसी और से कहता है उसे बाद में गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते है।

 

7. एक मनुष्य को हमेशा इस बात को रहस्य रखना चाहिए  कि उसकी बेइज्जती उससे किसी छोटे आदमी ने की है । अगर इस घटना को आप लोगो से साँझा करते है तो आपका मजाक बन सकता है । इससे आपकी गरीमा को ठेस पहुँच सकती है और आपके अहंकार को चोट लग सकती है, जिससे आपका आत्मविश्वाश डगमगा सकता है।

 

8.  कुछ लोग हालत बदलने का प्रयास नहीं करते. जीवन जैसे चल रहा है, बस जीते चले जाते है. पर जो प्रगति करना चाहते है, उपर उठना चाहते है – वे अपना सब कुछ दांव पर लगाने से नहीं डरते. संभावना है कि वे हार जाएं, कुछ न कर पाए लेकिन यह जो कुछ कर दिखाने का प्रयास है – यही उन्हें औरो से अलग बनता है।

 

9. अधिक लाड प्यार करने से बच्चों में अनेक दोष उत्पन्न  हो जाते है। इसलिए यदि वे कोई गलत काम करते है तो उसे नजरअंदाज करके लाड प्यार करना उचित नहीं है । बच्चो को डांटना भी आवश्यक है।  

 

10. जिस प्रकार पत्नी के वियोग का दुःख, अपने भाई – बंधुओं  से प्राप्त अपमान का दुःख असहनीय होता है, उसी प्रकार कर्ज से दबा व्यक्ति भी हर समय दुखी रहता है। दुष्ट राजा की सेवा में रहने वाला नौकर  हर समय दुखी रहता है। निर्धनता का अभिशाप भी मनुष्य कभी भुला नहीं पाता। इनसे व्यक्ति की आत्मा अंदर ही अंदर जलती रहती है।