1.शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है |शिक्षा की शक्ति के आगे युवा शक्ति और सौन्दर्य दोनों ही कमजोर है |
2.सुगंध का प्रसार हवा के रुख का मोहताज होता है पर अच्छाई सभी दिशाओ मे फेलती है .
3.किसी भी मनुष्य की वर्तमान सिथ्ति को देखकर उसके भविष्य का उपवास मत उडाओ क्योंकि काल मे
इतनी शक्ति होती है की वो एक मामूली सी कोयले के टुकड़े को हीरे मे बदल सकता है |
4.सोने की परख उसे घिस कर , काट कर , गर्म कर के और पिट कर की जाती है .उसी तरह व्यक्ति का
परिक्षण वह कितना त्याग करता है ,उसका आचारण केसा है,उसमे गुण कोंन से है और उसका व्यवहार केसा है
इससे होता है |
5.कभी नाश होने वाली चीज को छोड़ देता है ,तो उसके हाथ से अविनाशी वस्तु तो चलीं ही जाती हैऔर उसमे कोई संदेह नही
की नाशवान को भी वह खो देता है|एक बुद्धिमान व्यक्ति को किसी इज्जतदारघर की अविवाहित कन्या से व्यंग होने के बावजूद
भी विवाह करना चाहिए |उसे किसी हिन् घर की अत्यंत सुंदर र्स्त्री से भी विवाह नही करना चाहिए |शादी विवाह हमेशा बराबरी
के घरो मे उचित होता है |
6.मूर्खो से वाद-विवाद नही करना चाहिए क्योकि इससे केवल आप का ही समय नष्ट करेगे |
7.इस संसार मे आज तक किसी को भी अपने धन ,से स्त्रिओ से और भोजन से पूर्ण तृप्ति नही मिली |इनका जितना अधिक उपयोग
किया जाता है ,उतनी ही उसको पाने की कामना बडती जाती है |
8.व्यक्ति अकेले पैदा होता है और अकेले ही मर जाता है |वह स्वयं ही अपने अच्छे और बुरे कर्मो को बुगतता है और वह अकेले स्वर्ग या नरक
को जाता है |
9.मुर्ख से मूर्खो जैसी ही भाषा बोलनी चाहिए |
10.चन्द्रगुप्त: किस्मत पहले ही लिखी जा चुकी है तो कोशिश करने से क्या मिलेगा ; चाणक्य:क्या पता किस्मत मे लिखा हो की कोशिश से
ही मिलेगा |
11.बहुत से गुणों के होने के बावजूद भी सिर्फ एक दोष सब कुछ नष्ट कर सकता है |
12.बिना बुधि वाला व्यक्ति एक दुष्ट पिशाच के सिवाय कुछ नही है |
13.भय को नजदीक न आने दो अगर यह नजदीक आये इस पर हमला कर दो यानी भय से भागो मत इसका सामना करो |
14.मनुष्य स्वयं ही अपने कर्मो के दवारा जीवम मे दु:खो को बुलाता है |
15.मधुर वचन सभी को संतुष्ट करते है इसलिए हमेशा मधुर वचन ही बोलने चाहिए | जो व्यक्ति मीठे वचन बोलते है ,उनसे
सभी प्राणी प्रसन्न रहते है इसलिए मधुर वचन बोलने मे कैसी दरिद्रता ?
तप
1.तप भक्ति पूजा केवल एकान्त मे ही करनी चाहिय |विधार्थियो को इकट्ठे बैठ कर पढना चाहिय |गीत गाने वाले मिलकर गाये तो गाना अच्छा लगता है |
इकट्ठे मिलकर सफर करने मे थकावट नही होती |मिलकर खेती करने से फसल अच्छी होती है |बहुत सारे लोग यदि मिलकर शत्रु से युद करे तो विजय उन्ही
की होगी | राजा की आज्ञा ,कन्यादान ,पण्डित के बोल |राजा एक बार हुक्म देने के पश्यात उसका पालन चाहता है |उसके आदेशो का पालन न करने वाले को
सजा मिलती है |कन्यादान केवल एक ही बार होता है |इसके पश्यात लडकी पराई हो जाती है | जिस घर मे बच्चे न हो वह घर सुना हो लगता है | पति -पत्नी भी
उदास रहते है |
भाग्य
2.आयु ,कर्म धन ,विध्या और मृत्यु यह पांचो बाते उसी समय प्राणी के भाग्य मे लिख दी जाती है | गन्दे कपड़ो मे रहना वाला |घटिया और नीच लोगो
की सेवा करने वाला | घटिया बासी भोजन खाने वाला | लड़ाकू पत्नी जो पति से हर समय झगड़ा करती रहे | विधवा ओरत |यह सब चीजे पुरुष के लिए
बहुत हानिकारक होती है | इनसे सदा बच कर रहे | यह संसार दू;खो का घर है | हर प्राणी दू;खो मे डूबा रहता है |शान्ति के लिए साधू ,सन्तान , पत्नी की
शरण मे जाना चाहिय |थका हारा इन्सान इनके पास जाकर ही अपने दू ;ख दूर कर सकता है |
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अस्थाई
1. पुरुष आदि काल से ही चंचल है |इस संसार मे भगवान को छोड़ कर हर चीज अस्थाई है |क्क्ष्मी तो रमणी है |सदा नृत्य करती है |यह धन
रिश्ते नाते ,घर द्वार सब अस्थाई है |इनमे से कोई किसी का साथ नही देता | साथ क्या देता है |केवल धर्म ही अटल सत्य है |यह ज्ञान का
भण्डार है |ज्ञान अस्थाई है |यह कभी प्राणी का साथ नही छोड़ता |मनुष्य की सुनने की शक्ति सबसे महान होती है | यह सुनकर ही ज्ञान पाता है |
यह सुनकर ही मोक्ष प्राप्त करता है |इस तरह के प्राणी हर अच्छी चीज केवल सुनकर ही ग्रहण करता है |,अच्छा -बुरा दोनों ही को प्राणी सुनता है
किन्तु बुराई से दूर रहते हुए | उसे केवल अच्छाई और ज्ञान की बोली को सुनना चाहिय |
कर्म
2.प्राणी जेसा काम करता है |वैसा ही उसे फल मिलता है | इन कर्मो के ही तो प्राणी इस संसार के माया जाल मे फंसा रहता है |अच्छे -बुरे काम |
और जब मोत आती है यह सब कुछ यही पर रह जाता है |कुछ भी तो प्राणी के साथ नही जाता |यदि पुरुष के साथ जाता है तो केवल उसके कर्म |
इस संसार मे केवल कर्म ही प्रधान है |कर्म फल ही प्राणी को मिलता है | जब प्राणी इस बात को अच्छी तरह जानता है कि मरने के बाद उसे
अपने कर्मो का फल मिलेगा तो फिर अच्छे कर्म क्यों नही करता है |
कलयुग का विनाश
1.कलयुग को इस संसार के विनाश का युग माना जाता है |चाणक्य जी के विचारो के अनुसार दो हजार पांच सौ वर्ष बीत जाने पर ग्राम देवता , ग्राम छोड़
देते है , अथार्त ग्रामवासियों का धर्म -कर्म छुट जाता है |कलयुग के अंत कालमे गंगा सुख जाती है और दस वर्ष बीत जाने पर स्वयं विष्णु भगवान पृथ्वी
छोड़ देते है यह सब चिन्ह इस बात की प्रतीक होते है कि अब महाप्रलय आने वाली है | महाप्रलय संसार का नाश करती है |उस समय सारा संसार मिट
जाता है |हर चीज का विनाश हो जाता है |यह होता है कलयुग का अंत |कलयुग के अंत पर नये संसार का निर्माण होता है |यह कर्म न जाने कब से चला
आ रहा है |
तीर्थ स्थान
2.तीर्थ यात्रा ,पूजा एवम तीर्थ स्थान | यह सब मन की ख़ुशी के लिए होते है | तीर्थो पर जाना केवल अपने पापो का प्रायिश्च्त कर सकते है |
यही धारणा लेकर तीर्थ यात्रा करते है |क्या आप समझते है |ऐसा करने से मनुष्य के पापो का बोझ हल्का हो जाता है ? नही | जिस तरह शराब का पात्र
जल दिए जाने पर भी शुद्ध नही माना जाता , वेसे ही तीर्थ स्थान पे जाकर ,वहाँ स्नान करने से कभी पाप नही धुलते |
महापापी
1.महापापी कोंन हैं | जो दूर आए भले सीधे -सादे प्राणी को विश्राम की जगह न दे ,जो घर आए मेहमान को खाना न खिलाये और उसके सामने स्वयं
खा ले ,जो दुसरो का माल हजम कर जाये ऐसे लोग महापापी होते हैं | राजा आग, गुरु ,इन सबके निकट जाना अच्छा नही होता | इनसे दूर रहने में ही लाभ हैं |
इससे इज्जत बनी रहती हैं | आग ,पानी ,सांप ,राजा ,इन सबसे मित्रता करने से घाटा ही घाटा हैं | यह क्रोध में आकर प्राणी की जान भी ले सकते हैं
पापी
2.कांठे और पापी के दबाने के दो ही रास्ते हैं |पहला उसे तरीके से समझाना | यदि वह प्यार से नही समझता तो फिर जूते से समझाना |
अम्रत
3.अमृत से सबको जीवन मिलता हैं ,परन्तु शिवाजी महाराज विष पीकर कर और भी पुज्यनिए होते हैं , इसलिए हर काम केवल पात्र पर निर्भर होता हैं |
निर्धन
1.यह एक खुला सत्य हैं कि निर्धन की वेश्य ,शक्तिहीन राजा को प्रजा ,फलहीन व्रक्ष | इन सबका कोई लाभ नही होता | वन में आग लगने पर हिरण,
विध्या प्राप्त करने पर विधार्थी भिक्षा लेने के पश्यात ,भिखारी ,यह बस अपने काम पूरे होते ही स्थान छोड़ कर चले जाते हैं |
अच्छा पुत्र
1.अच्छा पुत्र वही होता हैं जो माँ बाप की आज्ञा का पालन करे | वही पिता योग्य और अच्छा हैं ,जो अपनी सन्तान का पालन -पोषण अच्छे ढंग से करे |
सच्चा दोस्त वही होता हैं ,जो मित्र से विश्वासघात न करे |
खरा सोना
2.हर पहाड़ के अन्दर हीरे नही होते |हर हाथी के मस्तक पर मुक्त नही होती |सब स्थानों पर अच्छे आदमी नही मिलते | हर स्थान पर चन्दन नही होता |
हर चमकने वाली चीज सोना नही होती | यह सारी दुनिया विवादों से घिरी हुई हैं, इसलिए अपने में निर्णय लेने से पहले स्वयं ही सोचिए |दक्षिणा लेने के
पश्चात ब्राहमण यजमान को ,विध्या प्राप्त करने के बाद शिष्य गुरु को छोडकर चले जाते हैं ऐसे ही संसार में नियम हैं कि हर जीव-जन्तु ,मनुष्य अपने
काम होने पर छोड़ जाता नदी के किनारे खड़े पेड़ कभी भी टूट कर पानी में बह जाते हैं | दूसरे पुरुष को जान लेने वाली पत्नी कभी ठुकराई जा सकती हैं | बिना
मन्त्री का राजा कभी भी राज -पाट खो सकता हैं |
गुणवान
1. गुण की सब स्थानों पर पूजा होती हैं ,धन की पूजा नही |पूर्णिमा के चाँद को सब लोग पूजते हैं ,किन्तु दूज का दुर्लभ चाँद कही नही पूजा जाता |
गुणवान की प्रशंसा तो सभी लोग करते हैं,यदि गुणवान अपने मुहँ से स्वयं प्रशंसा करे तो अच्छा नही लगता | गुण समझदार आदमी के पास जाकर
निखर जाता हैं | हीरे- मोती की कीमत वे क्या जाने ,रत्न तो शीशे में जड़ जाने के पश्चात ही चमकता हैं |मणि क्या तभी शोभा देती हैं, जब उसे सोने में जड़ा
जाये |प्राणी की चार चीजो की भूख कभी नही मिटती |धन ,जीवन ,वासना और भोजन |सब्के के लिए हर मनुष्य सदा भूखा रहता हैं भले ही उसे यह चीजे
जितनी भी मिल जाये लेकिन उस की लालसा नही मिटती | अन्न से बढकर कोई दान नही | द्वादशी से बढकर कोई तिथि नही |कोई देवी , देवता ,माँ- बाप
से बढकर नही | यह एक सत्य हैं |
सत्य
2.सांप के दांत में जहर होता हैं | मक्खी के सिर में और बिच्छू की दुम में जहर होता हैं | परन्तु बुरे इन्सान के तो पुरे शरीर में जहर होता हैं |बुरा प्राणी सबसे अधिक जहरीला होता हैं
3. चन्दन का पेड़ कट जाने से उसकी खुश्बू समाप्त नही हो जाती | हाथी बूढ़ा होने पर भी चंचल रहता हैं |ईख कोल्हू में पीसे जाने पर भी अपनी
मिठास नही छोड़ता |सोना आग में डालने के पश्यात भी अपनी चमक नही खोता , इसी प्रकार से अच्छेखानदानी लोग कही भी चले जाये वे अपने गुणों
को नही छोड़ते |गुण और उसकी अच्छाई सदा ही उनके साथ रहते हैं |
वश में करना
1.जो काम आप बड़ी से बड़ी रकम खर्च करके भी नही कर सकते ,वह किसी को वंश में करके कर सकते हैं जैसा कि –
अहंकार को हाथ जोड़ कर | पागल को अपनी मनमानी करने देकर | पंडित vके आगे सत्य बोलकर | विद्वान् का दिल जित कर
इसी तरह से आप अपना काम पूरा कर सकते हैं | साथ ही लड़ाई झगड़े से भी बच सकते हैं | किसी को वश करना भी एक कला हैं |
श्रदा
2.मन में श्रदा हो तो घर में ही गंगा हैं |
इसी कारण लोभी को दुसरे के दोषों से क्या लेना |
चुगलखोर को दुसरे के पापो से क्या लेना |
मन यदि शुद्ध हो ,ज्ञानी हो तो दुसरो के गुणों से क्या लेना |
ज्ञान
3.बिना गुण के केवल पुस्तको के सहारे ज्ञान प्राप्त करने वाला प्राणी बिल्कुल उस ओरत की भांति हैं, जो बिना पति के सन्तान पैदा करने की आशा रखती हैं|
धर्म
1.धर्म वही हैं जिससे दया की शिक्षा मिले |
जिस धर्म में दया न मिले उसे छोड़ देना चाहिए |
बात-बात पर झगड़ा करने वाली ओरत को तो घर से निकाल देना चाहिए |
दान
2.दान देने से दरिद्रता दूर हो जाती हैं | जो लोग दुसरो के दु;ख दूर करते हैं भगवान उनके दु;ख दूर करतेहैं|
बुधी सदा अज्ञानता को नष्ट करती हैं | बुद्धिमान कभी भूखा नही मरता |
धर्म की रक्षा
3.धन से धर्म की रक्षा होती हैं खाने पीने और योग से विधा की रक्षा होती हैं | शक्ति से राज की रक्षा
होती हैं यदि पत्नी अच्छी पढ़ी -लिखी , गुणवान हो तो वह सारे घर की रक्षा कर सकती हैं |
दान देना
4.सागर के लिए वर्षा होना न होना बराबर हैं | जिसका पेट भरा हो उसके लिए बढिया से बढिया भोजन
बेकार हैं सूर्य के प्रकाश के सामने दीपक क्या करेगा |अमीर आदमी को दान देने से क्या लाभ उसके सामने धन की कोई कीमत नही होती |दान भी उसे दो जो गरीब हो |
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अकेलापन
1जिसका कोई भाई न हो वह प्राणी अकेला दुखी रहता हैं | एकांत उसे सांप की भांति कटता हैं |
मूर्ख का दिल और दिमाग शून्य होता हैं | गरीब बेचारे की तो हर चीज शून्य होती हैं | गरीब होना ही पाप हैं और धनवान होना
जीवन का सुनहरा पन हैं |
उदास
2.जिस घर बच्चे न हो वह घर सुना लगता हैं | पति पत्नी भी उदास रहते हैं |
निर्धन
3.निर्धन सदा धन की तलाश में भटकते हैं ,उनके मन में सदा अमीर बनने की इच्छा रहती हैं |
इस संसार का हर प्राणी स्वर्ग चाहता हैं ,वह सदा स्वर्ग के सपने देखता हैं | इसे हम इच्छा कहते हैं | यह सारा संसार इच्छाओ का दास बन कर रह गया हैं |