Chanakya Niti,Inspirational,Motivational
1.मृत्यु सब इंसानों को कहा जाती है | जब सारा संसार समाप्त हो जाता है तो काल फिर भी जागता रहता है | मृत्यु कभी नही मरती |
हाँ वह सब इंसानों को मार देती हैं |इसमे कोई संदेह नही कि मृत्यु ही इस संसार मे सबसे बड़ी बलवान हैं |मृत्यु को आज तक कोई नही
लांग सका |
2.जन्म से जो अन्धा हैं उसे दिखाई नही देता ,जो कामवासना मे अन्धा हैं उसे भी कुछ दिखाई नही देता ,शराब अवम दुसरे नशे करने
वाले को भी कुछ दिखाई नही देता , स्वार्थी और पापी इन्सान जब अपना मतलब सिद्ध करना चाहता हैं तो उसे इस धुन मे वह ऐसा अन्धा
होता हैं कि किसी भी काम मे दोष नजर नही आता हैं |
3.जीवन तो स्वयं मे ही एक कर्म हैं और यह जीवन ही कर्म करता है |उन कर्मो के सहारे ही वह दुःख -सुख भोगता हैं |यही जिव कई योनियों
मे इस संसार मे जन्म लेता हैं और जब -जब यह जीव पुरुषार्थ करता हैं तो संसार के बन्धनों से मुक्त हो जाता हैं |
4.देश मे किये पापो को राजा ,राजा के द्वारा किये गये पापो को पुरोहित ,पत्नी द्वारा किये गये पापो को पति ,और शिष्यों द्वारा किये गये
पापो को गुरु ही भोगता हैं |इसलिए हर इन्सान को पाप को दूर रहना चाहिए |
5.लोभी को धन से अभिमानी को हाथ जोडकर ,मुर्ख को उसकी इच्छा के अनुसार और विद्वान् को सदा सत्य बोलकर वश मे किया जा सकता हैं |
6.यदि कोई राजा पापी और स्वार्थी हैं तो उससे राज्य का न होना ही अच्छा हैं |इसी प्रकार धोखेबाज और ढोंगी मित्रो से मित्र न होना ही अच्छा हैं |
बुरे और चरित्रहीन शिष्यों से तो शिष्य का न होना ही अच्छा हैं और दुराचारी नारी को पत्नी बनाने से तो अच्छा हैं ,इन्सान विवाह ही करे |
7.इन्सान को शेर औरबगुले से एक -एक ,मुर्गे से चार ,कौए से पांच ,कुते से छ: और गधे से तीन गुण सीखने चाहिए |इन्सान जो भी छोटा -बड़ा
काम करना चाहता हैं ,उसे अपनी पूरी शक्ति से करे |यह शिक्षा उसे सिंह से लेनी चाहिए |विध्वान और ज्ञानी इन्सान को चाहिए कि वह अपनी
इंद्रियों को वश मे करके ,मन को एकाग्रचित करके तथा देश काल और अपने बल को अच्छी तरह जान कर बगुले के समान अपने सारे कार्य को
सिद्ध करे |यथा समय जागना ,युद्ध के लिए तैयार रहना ,बन्धुओ को उनका हिस्सा देना और आक्रमण करके भोजन करना |इन चारो बातो को
मुर्गे से सीखना चाहिए | छिपकर मैथुन करना ध्र्ष्टता ,समय -समय पर संग्रह करना ,हर समय होशियार रहना और किसी पर विश्वास न करना |
इन पांच बातो को कौए से सीखना चाहिए |
8.अधिक खाने की शक्ति रखना , यधि न मिले तो थोड़े मे ही सब्र करना ,गहरी नीद मे सोना , जरा भी आहट होने पर जाग जाना ,अपने मालिक से
वफादारी और उसकी भक्ति करना ,बहादुरी से शत्रु से युद करना ,यह छ: गुण इन्सान को कुते से सीखना चाहिए |
9.बहुत ठक्कर भी बोझ उठाते जाना ,गर्मी -सर्दी की परवाह न करना सदा धैर्य और संतोष से जीवन व्यतीत करना |इन तीन गुणों को धैर्यवान गधे
से सीखना चाहिए | जो प्राणी इन बीस गुणों को अपने जीवन मे पल्ले बांधकर इन्हे पूर्ण रूप से धारण करेगा , वह सदा ही सफल होगा |
10.गाड़ी से पांच हाथ ,घोड़े से दस हाथ ,हस्ती से सौ हाथ दूर रहना चाहिए |दुर्जन से बचने के लिए यदि देश को भी छोड़ना पड़े तो इसमे
तनिक भी संकोच नही करना चाहिए |
Inspirational,Motivational,Quote
1.ब्राहाण भरपेट भोजन मिलने पर ,मोर बादलो के गर्जने पर,सज्जन दुसरो की सम्पति से ,दुष्ट दुसरो को विपति मे देखकर बड़े
खुश होते हैं |मानव को अत्यंत सरल स्वभाव का नही होना चाहिए वनों मे जाकर देखो कि वहाँ सीधे ही व्रक्ष को ही काटा जाता हैं |
और टेढ़े -मेढ़े व्रक्ष बड़े मजे से खड़े रहते हैं |उन्हें कोई नही काटता |
2. शेर की गुफा मे जाने पर ही हाथी के मस्तक का मोती प्राप्त होता हैं और गीदड़ के स्थान पर जाने पर बछड़े की पूंछ और गधे के
चमड़े मिलते हैं | जैसे फूलो मे खुशबू होती हैं |तिलों से तेल निकलता हैं | काठ मे आग ,दूध मे घी और ईख मे गुड ,शक्कर होता हैं |
वैसे ही शरीर मे भी आत्मा का वास हैं |बुदिमान और ज्ञानी लोगो को पाकर अपने जीवन का कल्याण करना चाहिए |
3.लम्बी आयु वाले मुर्ख बेटे से पैदा होते ही मर जाने वाला बेटा श्रेष्ठ हैं |उसका केवल थोड़े समय के लिए दुःख होता हैं परन्तु मुर्ख
बेटा तो जब तक जीवित हैं तब तक माँ -बाप को दुःख देता रहेगा |
4.बदनाम ग्राम मे निवास करना ,कुलहीन की सेवा करना ,बुरा भोजन करने वाली पत्नी ,मुर्ख पुत्र और विधवा नारी | यह छहों
बिना आग के ही शरीर जलाते रहते हैं |
5.उस गौ का क्या लाभ जो दूध न देती हैं न गर्भ धारण करती हैं ,ठीक इसी प्रकार उस बेटे से क्या लाभ जो न विद्वान् न हो
और न ही ईश्वर भक्त हो |
6.जिस घर मे सन्तान नही वह सूना हैं ,जिस इन्सान के दोस्त या मित्र नही हैं उसकी दशो दिशाए सूनी हैं |मुर्ख इन्सान का
दिल सूना होता हैं और दरिद्री व् कामचोर के लिए तो सबकुछ सूना हैं |
7.जैसे आग मे जलते हुए एक ही व्रक्ष से वह सारा वन जिसमे वह पैदा हुआ हैं ,जलकर भस्म हो जाता हैं |वैसे ही एक ही बुरी
सन्तान सारे वंश के गौरव , मान और इज्जत को मिट्टी मे मिला देती हैं |
8.दिल को दु:खी करने वाले शोकदायक बहुत से बेटो के घर मे होने से क्या लाभ हैं ?उससे तो कही अच्छा यह हैं कि एक ही पुत्र
उतम और ज्ञानी हो |
9जंहा पर जल होता हैं वही पर हंस आते हैं |जब जल सुख जाता हैं तो वे उस स्थान को छोडकर चले जाते हैं |परन्तु मानव को
हंस की भांति बार -बार आने -जाने वाला स्वार्थी नही होना चाहिए |
10.कमाए हुए धन को खर्च करना ,दान देना उसकी रक्षा मणि जाती हैं |जैसे जल से भरे तालाब के अन्दर भरे हुए जल को
निकालते रहने से ही तो जल स्वच्छ रह सकता हैं |
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1.पानी मे तेल और पापी आदमी से गुप्त रहस्य ,सत्पात्र को दिया गया दान ,बुद्धिमान को दिया गया शास्त्र ज्ञान ,यह सब
थोड़े होने पर भी वस्तु की शक्ति से स्वयं ही विस्तार को प्राप्त होते हैं |
2.हे प्राणी ! तुम दुष्टों का साथ छोडकर अच्छे -भले ज्ञानी लोगो के साथ रहो |रात -दिन अच्छे -भले काम करो | यह मत भूलो
कि संसार नाशवान हैं |इसलिए ईश्वर को याद रखो |
3.धर्म ,धन अन्न और ज्ञान व् औषधियों का भलीभांति संग्रह करने वाले लोग बुद्धिमान लोग होते हैं और जो लोग इनका संग्रह नही
करते वे कभी सुख से नही जी सकते |
4. मित्र ,स्त्री ,सेवक ,बन्धुवर —- यह सब इन्सान को त्याग देते हैं | जब वह मनुष्य पुने: धनवान बन जाये तो वही लोग उसके पास
भागे आते हैं |ऐसा प्रतीत होता हैं कि यह धन ही तो इंसान का सबसे बड़ा दोस्त ,मित्र ,बन्धु -बांधव हैं |
5.जो मुर्ख अज्ञानी होने के कारण ऐसा समझता हैं कि यह सुंदर नारी मुझसे प्रेम करती हैं | ऐसा आदमी उनके प्रेम जाल मे फसकर
कठपुतली की भांति नाचता रहता हैं |
6.वेश्याएँ बातचीत किसी से करती हैं ,किन्तु विलासपूर्वक किसी और को देखती हैं उनके मन मे भी किसी और का ही चिन्तन होता हैं |
इसमे कोई संदेह नही कि वेश्याओ का प्यार किसी एक के साथ नही होता |वह सब को प्यारी होती हैं , परन्तु उनका असली प्यार तो धन
से होता हैं |
7.जो प्राणी इस संसार के मोहमाया जाल मे फंसे हुए हैं जो इस जाल से बाहर निकलने के लिए न तो वेदों का पाठ करते ,न ईश्वर की
उपासना करते हैं |न ही अपने लिए स्वर्ग के द्वार खोलने के लिए धर्मरुपी धन का संग्रह करते |न स्वप्न मे स्त्री के सुंदर स्तनों व् जंघाओं
का आलिंगन करते ,वे लोग माता के योवन रूपी व्रक्ष को काटने वाले कुल्हाड़े रूप होते हैं |
8.यह संसार एक विष व्रक्ष हैं |इस पर दो ही प्रकार के फल अम्रत के समान लगते हैं | पहला मधुर वचन व् दूसरा सज्जनों की संगति |
अथार्त मधुरभाषी व्यक्ति शत्रु को भी वशीभूत कर सकता हैं |और जो सज्जन पुरुषो की संगति करता हैं उसका निश्चय ही कल्याण
होता हैं |
Chanakya Niti,Motivational,Vichar
1.किसी प्राणी के वंश का पता उसके व्यवहार से ही लग जाता है |ऊँचे वंश के लोगो की बोल चाल मे सभ्यता मिलेगी ,किन्तु
छोटी जाति के लोग भले ही बड़े हो जाए,उनमे यह सभ्यता नही आ सकती |
2.ब्राहाण केवल विधा के सहारे ही पण्डित कहलाता है | राजा अपनी सेना के सिर पर ही बहादुर होता है |बनिया अपनी
कारोबारी बुधि से ही दन कमाता है |
3.इस संसार मे कौन सा ऐसा प्राणी है ,जिसमे कोई दोष न हो |इस दुनिया मे कौन सा मानव है ,जिसे कोई दुःख न हो | यह बात मत
भूलो कि सदा कोई सुखी और न ही सदा कोई दुखी रहता है | जीवन तो धुप छांव है |
4.हर वैश्या गरीब का प्यार छोड़ देती है |प्रजा कभी भी उस राजा का साथ नही देती ,जो शक्तिशाली नही | पक्षी कभी उस पेड़ पर नही
बैठते जिस पर फल नही |
5.बुरे इन्सान और सांप मे कौन अच्छा है ?इस प्रश्न का उतर यही है कि सांप तो केवल एक ही समय आने पर ही काटता है किन्तु बुरे लोग
वे हर पल पर बुराई करते है इसलिए बुरा इन्सान तो हर समय बुराई करके सांप से भी भयंकर हो जाता है |
6एकता मे ही शक्ति हैं | बिखरे हजारो तिनो को हाथी रौंद डालता हैं | वही हजारो तिनके मिलकर ढाल बन हाथी को अपने बस मे कर लेटे हैं |
7.सागर सदा शांत और गम्भीर रहता हैं |किन्तु प्रलह काल मे वह भी अपनी सीमा पार कर लेता हैं |परन्तु अच्छे ज्ञान ,बुद्धिमान एवं साधु
लोग अपनी सीमा का उल्लघंन नही करते |वे सरकार की भांति प्रलह मे भी अपनी सीमा का बन्धन नही तोड़ते |
8.व्यापार करना हो तो कोई देश दूर नही |आत्म विश्वास से बढकर इस संसार मे कोई दूसरी ताकत नही
9.अमीर आदमी के पास दोस्त बहुत होते हैं |ऐसे दोस्त केवल स्वार्थ के लिए ही बनते हैं वे केवल अमीर दोस्त को ,पागल बनाने के लिए
ही दोस्ती का दावा करते हैं |
10.पुत्र को दस वर्ष तक प्यार करे ,फिर उसके साथ कड़ाई का व्यवहार करे | सोलह वर्ष का पुत्र होने उसके साथ मिलकर हर विषय मे
विचार विमर्श करे |उसे अपना मित्र समझकर व्यवहार करे|
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1.आग ,पानी ,स्त्री ,सांप और राज परिवार |इन सबसे सदा होशियार रहना चाहिए | क्योकि जरा सी भूल के कारण यह प्राणों को नष्ट कर देते है |
2.राजा ,आग ,गुरु और स्त्री |इन का सेवन मध्य अवस्था मे करना चाहिए |क्योकि यह सब अत्यंत
निकट होने पर भी विनाश का कारण बन जाते है |
3.हे प्राणी ! यदि तुम एक ही कर्म से इस संसार को अपने वश मे करना चाहते हो तो दुसरो की निंदा
मे लगी अपनी वाणी को रोको |अथार्त निंदा करना छोड़े |
4.बुरे कर्म करने के पश्चात पश्चाताप करने वाले प्राणी को जैसे बुधि प्राप्त होती है ,यदि वैसी ही बुधि
उसे पाप करने से पहले मिल जाए तो किसका कल्याण नही होगा ?
5.जो लोग समर्थ है ,धन वाले है ,उनके लिए गलत काम भी ठीक हो जाते है | परन्तु जो लोग निर्धन है ,छोटे है उनके लिए उचित कार्य भी गलत गिने जाते है | उदाहरन के भी तोर पर दैत्य के लिए अम्रत भी मौत का कारण बन जाता है और शिवजी के लिए विष भी अम्रत बन जाता है |इसी विष को पीकर वे नीलकंठ के नाम से प्रसिद हो गये |
6.चन्दन का व्रक्ष यदि काट भी दिया जाये तो वह अपनी गंद नही छोड़ता ,बुढा होने पर भी हाथी अपनी कामक्रीडा को नही छोड़ता ,ईख को कोल्हू मे पेर दिया जाए तो भी वह अपनी मिठास नही छोड़ता | इसी प्रकार जो अच्छे और उच्च वंश के लोग है ,धनहीन होने पर भी अपनी सुशीलता को
नही छोड़ते |
7.ऐसे माँ –बाप अपनी सन्तान के स्वयं शत्रु है जिन्होंने अपनी सन्तान को उतम शिक्षा नही दी | जोअपनी सन्तान का पालन –पोषण अच्छे ढंग से नही करते |क्योकि बुधिहीन या अज्ञानी लोग जब विदानोकी सभा मे जाते है तो वह ऐसे चुपचाप बैठ जाते है ,जैसे वे गूंगे हो |ऐसे लोगो को उस सभा मे देखकर
ऐसा प्रतीत होता है जैसे हंसो की सभा मे कौआ बैठा हो |
8.कुवारी कन्या और बालक भगवान का रूप माने गये है |हाथी को देखकर हजार हाथ दूर रहो |घोड़े से सौ हाथ दूर रहो ,सींग वाले पशु को देखकर दस हाथ दूर रहो | किन्तु बुरे आदमी को देखकर आप वंहासे केवल भाग ही न लो ,बल्कि उस शहर को भी छोडकर भाग जाए तो अधिक अच्छा है बुरा आदमी सदा नुकसान ही पहुंचाता हैं |उससे भले की आशा न रखे |
9.हंस केवल वही पर रहते हैं ,जंहा पर उन्हें पानी मिलता हैं |सरोवर सुख जाने पर वह अपनी जगह बदल देते हैं किन्तु प्राणी को ऐसा स्वार्थी न होना चाहिए
उसे बार -बार अपना स्थान नही बदलना चाहिए |
10.जैसे धरती खोदने से उसमे से पानी निकलता है |वैसे ही गुरु की सेवा करने से विद्या प्राप्त होती हैं |यह बात सदा याद रखे कि गुरु की सेवा के बिना
इन्सान कभी अच्छी शिक्षा नही पा सकता |
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1.बुरी आदतों वाले पुरुष ,बुरे स्थानों पर रहने वाले लोग इनसे जो भी मित्रता करता है वह एक न एक दिन
धोखा खाता है | राजा लोग खानदानी आदमी को अपने पास क्यों रखते है | इसलिए कि वह खानदानी आदमी ,
न तो राजा को मुसीबत मे डालता है | न कभी धोखा देता है , न ही वह राजा के पास इतना धन देखकर ईर्ष्या
करता है
2.मुर्ख प्राणी और पशु दोनों एक समान होते है | इन दोनों मे अन्तर केवल इतना है कि वह पशु के पावं चार और
प्राणी के पावं दो होते है |मुर्ख प्राणी के अन्दर कांटे भरे होते है | जो दिखाई नही देते , किन्तु उसकी कडवी बोली काँटों
से भी अधिक तेज लगती है |
3.काली कुरूप कोयल की सुन्दरता उसका स्वर है | पुरुष की सुन्दरता उसकी विध्या है बुरी औरत की सुन्दरता
क्षमा है इसी तरह औरत की सुन्दरता उसका पतिव्रता धर्म होता है
4.हिम्मत करने से गरीबी दूर हो जाती है |पूजा करने से पाप मिट जाते है |छुप रहने से झगड़ा मिट जाता है |
5.एक अच्छा फूलदार व्रक्ष सारे वन की शोभा बढ़ा देता है इसी प्रकार एक अच्छा बेटा सारे वंश की शोभा बढ़ा देता है
सो मुर्ख बेटो से एक बुद्धिमान बीटा अच्छा होता है |केवल एक वर्ष मे आग लगने से पुरे जंगल मे आग लग जाती है |
एक का ही बड़ा महत्व होता है |एक चाँद सारे संसार को प्रकाश देता है | अनेक से एक भला यदि वह सपूत हो |
6.लक्ष्मी का वस् कहाँ होता है ? जहाँ पर मुर्ख की पूजा नही होती है |जहाँ अनाज के भंडार सदा भरे रहते हो | पति –
पत्नी मे झगड़ा न होता हो बस इन स्थानों पर ही लक्ष्मी निवास करती है |
7.हर मित्रता के पीछे कोई न कोई स्वार्थ अवश्य होता है |बिना स्वार्थ दोस्ती ही नही हो सकती |यह एक कटु सत्य है |
दू:ख के समय ही दोस्ती की पहचान होती है | सुख के तो सारे साथी है |परन्तु जब इन्सान का बुरा वक्त आता है |उसी
समय सच्चे दोस्त की पहचान होती है |
8.असली दोस्त वही है जो दोस्त के काम आए | सच्चे दोस्त को भाई के समान माना गया है |यही कर्ण है कि दोस्ती ही
इन्सान के काम आती है |
9.शक्तिशाली शत्रु ,कमजोर मित्र सदा नुकसान देते है | क्युकी कमजोर मित्र कभी भी विश्वास घात कर सकता है |
परन्तु शत्रु से आदमी स्वंय होशियार रहता है |
10. पत्नी जैसी भी हो ,धन जितना भी हो , भोजन जैसा भी हो , यह सब यधि समय पर मिल जाए तो सबसे अच्छा है |
यह सब पा लेने के पश्यात उसे यह नही भूलना चाहिए कि उसका एक और कर्तव्य भी है विध्या प्राप्त करना |
1.ज्ञान से बढकर दूसरा गुरु नही ,कामवासना के समान दूसरा रोग नही ,क्रोध के समान आग नही ,और अज्ञानता के
दूसरा शत्रु नही |
2.सिह से हमे सीखना चाहिए कि काम छोटा हो या बड़ा पूरी शक्ति से करे |जिस प्रकार सिहं शिकार छोटा हो या बड़ा
वह अपनी पूरी शक्ति से झपटता है |
3.ब्राह्मण ,गुरु अग्नि ,कुंवारी कन्या ,बालक व्रद्वो को पैरो से नही छुना चाहिए | ये सभी आदरणीय है | हमे इन्हे आदर
सम्मान देना चाहिए |
4.अपनी संतानों को जो माता पिता उचित शिक्षा नही दिलवाते , वे उनके शत्रु है | समय का चक्र किसी के रोके नही रुकता
चलता रहता है |अत: समय को पहचान कर तदनुसार कर्म करना चाहिए |
5.गाय चाहे जो भी खाले ले दूध ही देगी | इसी प्रकार विद्वान् कैसा भी आचरण करे , वह निश्चित ही अनुकरणीय होगा |
परन्तु यह तथ्य केवल समझदार ही समझ सकते है |
6.होनी को कोई नही टाल सकता | होनी होकर ही रहती है | होनी के वक्त वैसा ही अनुकूल वातावरण बन जाता है ,हमारी
बुधि भी तदनुकूल ही कार्य करने ल्हती है |
7.बिना मंत्री का राजा ,नदी के किनारे व्रक्ष दुसरे के घर जा कर रहने वाली स्त्री -ये सभी शीघ्र नष्ट हो जाते है अर्थात बिना
मंत्री का राजा कूटनीति के अभाव मे राजपाट से हाथ धो बैठता है |नदी के किनारे सिथत विशाल व्रक्ष भी जल के प्रभाव से
कभी भी भ सकता है |और दुसरे की पत्नी बन जाने पर स्त्री कभी भी ठुकराई जा सकती है |
8.जो व्यक्ति सभी प्राणियों के प्रति समान भाव रखता है , दुसरो के धन को मिटटी के समान समझता है |और पर स्त्री को माता |
वही सच्चा विद्वान् और ब्राहाण है |
9.गधा बहुत संतोषी जीव है | थकने पर भी वह बोझ ढोता रहता है | सर्दी -गर्मी की उसे प्रवाह नही रहती ,संतोष भाव से जो मिल
जाये ,उसी मे गुजर करना ,ये बाते गधे से सीखनी चाहिए |
10.अन्न से बढकर कोई दान नही होता | दाद्शी की तिथि सर्वोपरी है | गायत्री मन्त्र सर्वश्रेष्ठ है | और माता पिता से श्रेष्ठ कोई नही |
1.परिश्रम करने से इंसान की गरीबी दूर हो जाती हैं पूजा करने से पाप दूर हो जाते हैं ,जागते आदमी को डर नही लगता ,
यदि दो प्राणी झगड़ पड़े तो उन मे से एक प्राणी खामोश हो जाये तो झगड़ा मिट जाता हैं |जिस जगह झगड़ा हो रहा हो ,
वह पर कभी भी नही खड़ा होना चाहिए , कई बार ऐसे झगड़ो मे बेगुनाह मारे जाते हैं |यदि भयंकर अकाल पड़ जाये जो
तो ऐसे अवसर पर किसी बदमाश से मित्रता करने मे लाभ होता हैं |क्योकि बदमाश अपनी ताकत के बल बूते कही न
कही से खाना ले आयेगा |इस खाने को वह अपने मित्र को भी अवश्य ही खिलायेगा |
2.पुत्र ,मित्र और परिवार के अन्य लोग अक्सर अपने से दूर हो जाते हैं अच्छे लोगो के साथ रहने मे ही लाभ हैं | पुत्र
वंश का नाम रोशन करते हैं | हर प्राणी को पहले से ही सोचना चाहिए कि वह कोंन सा पाप कर रहा हैं |
3.मित्रता उस स्थान के लोगो से की जाये झा पर डर, शर्म,चतुरता ,त्याग जैसी आदते अवश्य हो , अन्यथा उस देश
अथवा उन लोगो के पास रहना भी उचित नही होता |
4.यदि जहर मे अम्रत मिला हो तो हंसी ख़ुशी पी लेना चाहिए |सोना यदि गन्दे जगह पर पड़ा हो तो उसे उठा लेना चाहिए |
शिक्षा यदि किसी घटिया प्राणी से भी मिले तो लेने मे संकोच नही करना चाहिए |यदि दुष्ट वंश मे बुद्धिमान कन्या हो तो उसस
शादी कर लेनी चाहिए |गुण ही सबसे बड़ी विशेषता हैं |
5.जिस देश मे आदर नही ,जीने के साधन नही, विध्या प्राप्त करने के स्थान नही |वहाँ पर रहने का कोई लाभ नही क्योकि
वह पर उन्नति नही कर सकता
6.जहाँ पर अमीर लोग , वेदों के पथ करने वाले पण्डित दयालु राजा न हो , बीमार होने पर दवा -दारू का प्रबन्ध न हो ,
वहाँ पर रहना बेकार हैं |
7.यदि धन का नाश हो जाये , मन की शान्ति भंग हो जाये ओरत चरित्रहीन होने का संदेह आग लगा रहा हो ,इन सब बातो को
बुद्धिमान लोग दुसरो को नही बताते | जो व्यक्ति ऐसा करने की भूल करते हैं उनका लोग मजाक उडायेगे |
8.यदि इस संसार मको चलाने वाला ईश्वर हैं |तो मुझे अपने जीवन की कोई चिंता नही | हाँ यदि ऐसा विश्वास हो तो
फिर नवजात शिशु के लिए माँ के स्तनों का दूध कहाँ से आता हैं | यह सब कुछ आपका हैं |आप के होते हुए मुझे किसी
चीज की चिंता नही |बस आप ही मुझ पर क्रपा करो | मुझे इस संसार की हर बुराई से दूर रखो | प्राणी को यह चार गुण जन्म
से ही उपहार के रूप में मिलते है | दान देने की शक्ति , मीठे बोल ,धैर्य, धैर्य ज्ञान , यह परीगुन प्राणी को अपने संस्कारो के साथ
मिलते हैं | यह गुण मनुष्य के किसी के कहने से नही मिलते ,खरीदे नही जाते | यह तो सब ईश्वर की देन हैं |
9.जो प्राणी दान नही देता .भगवान की पूजा नही करता |साधू संतो का सामान नही करता , तीर्थ यात्रा नही करता ,ऐसे लोगो को
तो एक शव के बराबर ही समझ लेना चाहिए |
10.उल्लू दिन मे नही दिखता , इसमे भला सूर्य का क्या दोष हैं ? कदीन के पेड़ पर पते नही आते न फूल खिलते हैं |इसमे
बसन्त ऋतू का क्या दोष हैं ?
11.पागलो ने पत्थर के टुकडो को रत्न मन लिया हैं असली रत्न तो केवल अनाज ;पानी और ज्ञान ही होते हैं |इन तीनो रत्नों से बड़ा
और कोई नही हो सकता |
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1.औरत ताकत को कम करके अपनी और खिचती है |दूध शक्ति बढ़ता है |पकृति ने प्राणी के लिए हर चीज बनाई
है |उनके उपयोग अच्छाई अथवा बुराई के लिए किया जाये यह निर्णय केवल इंसान का फर्ज है |
2.गाय कुछ भी खाती है परन्तु दूध देती है | इसी दूध से बडिया से बडिया पदार्थ बनते है | इसी तरह से बुद्धिमान प्राणी कुछ भी करे
उनका ज्ञान कम नही होता |बुद्धिमान की एक -एक बात कीमती होती है ,बस उसके समझने का कष्ट करे |
3.इस संसार मे बहुत कम लोग ऐसे मिलेगे जो बाहर अन्दर से एक हो |हर आदमी मे बाहरऔर अन्दर मे अन्तर होता है | बाहर
से भला अन्दर से बुरा आदमी सदा ही चेहरे लगता है |जैसे हठी के दांत खाने के और दिखाने के और होते है |
4महापुरुषो के गुण देखो उनका काम नही | हर महापुरुष मे कोई न कोई बुराई तो होती है |श्री कृष्ण जी रासलीला करते थे |
राजा शांतनु धीवर कन्या पर मोहित हो गये थे |यह बात यद् रखो कोई भी महापुरुष अवगुण के नही होता |
5.धनवान को मित्र अपने आप ही मिल जाते है |धन मित्रता को जन्म देता है |धन के सब रिश्तेदार है |सत्य बात तो यह है
किजिसके पास धन है वही सच्चा और इज्जतदार माना जाता है |
6.शान्ति से बड़ा कोई तप नही होता ,क्योकि गुस्से मे इन्सान अपना सब कुछ भूलकर पागल सा हो जाता है |यहाँ तक कि
वह इसी बोझ कारण मृत्यु की गोद मे चला जाता है |
7.जो पागल यह समझते है कि कोई सुन्दर लडकी उनके प्यार के जाल मे फंस गई है ,ऐसे लोग प्रेम जाल मे अंधे हो कर बन्दर की भांति उसके
इशारों पर नाचा करते है |
8.जो औरत दुसरो से प्यार करती है | दुसरो की और देखती है | उस औरत का प्यार कभी भी धोखा दे सकता है |ऐसी औरत से सदा दूर रहना
चाहिए |क्योकि वे किसी एक की होकर नही रह सकती |जो नारी अपने पति का कहना नही मानती ,और व्रत रखती है ,ऐसी नारियां अपने पति
की आयु कम करती है ,इसलिए ऐसी नारियां को यह सोचना चाहिए कि पति की आज्ञा के बिना चलना उनके कभी भी लाभदायक नही हो सकता |
स्त्री न तो दान देकर और न ही तीर्थ यात्रा करके पवित्र हो सकती है |पाप करने पूर्व उन्हें यह सोच लेना चाहिए ,कि यह कभी भी नही धुलती |नारी
जब भी स्वर्ग की आशा करती है ,तो उसे यह सोच लेना चाहिए कि उसका यह स्वर्ग केवल पति की सेवा से ही प्राप्त हो सकती है |
9.मौत को इस संसार की सबसे बड़ी शक्ति माना जाता है |मौत इस संसार के हर जीवन को खो जाती है | संसार के नष्ट हो जाने पर भी केवल मौत
का राज्य बाकी रह जाता है |मौत कभी भी सोती नही |सदा जगती रहती है | इसलिए मौत को कभी मत भूलो |जहाँ जीवन है वहा मृत्यु अवश्य होगी ,
मृत्यु के पश्यात केवल मृत्यु | इसलिए मृत्यु को हर समय यद् रखे |बुराई से बचे अच्छा कार्य करे |
10.ईश्वर महान है ,सर्वशक्तिमान है | इस संसार की साडी बागडोर ईश्वर के हाथ मे हैं |ईश्वर ही राजा को दास और दास को राजा बना देता हैं |
ईश्वर ही गरीब को अमीर और अमीर को गरीब बना देता हैं | ईश्वर पर भरोसा रखो ,वही सबका ख्याल रखता हैं |
1.प्रजा का कोप सब कोपो से भयंकर होता है | देश की जनता ही उसकी सबसे बड़ी शक्ति होती है | इसलिए राजा को चाहिए कि
पहले प्रजा को सुखी रखे |यदि कोई भी राजा प्रजा को दू;खी रखेगा तो प्रजा एक दिन अवश्य ही विद्रोह कर देगी |इसी हालत मे
राजा को कोई भी नही बचा सकेगा |
2.राजा बुरा होने से तो राजा न होना ही अच्छा है |निकम्मे राजा से तो जनता कभी सुखी नही रहती |यदि बुधिहीन और
भ्रष्ट राजा हो तो उसके बिना जनता राज को चला लेगी |
3.राजा को चाहिए कि किसी ज्ञानी , बुद्धिमान को ही मंत्री बनाये ,जो राजनीती को जनता हो |ऐसे प्राणी को मंत्री बनाने से
पहले छुप-छुपकर उसकी परीक्षा ले |राजनीति और प्रेम को कभी एकसाथ न रखे |प्रेम व्यक्तिगत होता है | राजनीति
पूरी प्रजा के साथ चलती है | कहने का अर्थ यह है किमंत्री सदा राजनीति का ज्ञानी और जनता का सेवक हो |
4.बलवान राजा जो नही मिल सकता उसे भी पाने के लिए प्रयत्न करते है | जो बलवान है वही साहसी है | साहसी और
बलवान राजा ही अपने देश को उन्नति के शिखर पर ले जाते है |
5.तेल मे पानी नही मिलता है |घी मे से जल नही निकलता है | पारा किसी से नही मिल सकता | इसी प्रकार विपरीत स्वभाव वाले ,
एक दुसरे से कभी नही मिल सकते |
6.समय न तो किसी के रुकने से रुकता है समय अपनी गति से चलता रहता है ,समय किसी की प्रतीक्षा नही करता इसलिए समय की
कीमत को समझे ,गुजरा समय कभी वापिस नही आता ,सदा इन्सान ही समय की प्रतीक्षा करता है | समय का कोई मूल्य नही है ,
इससे लाभ उठाने वाले ही आगे बढ़ते है |
7. बड़े से बड़े ज्ञानियों पर भी बुरा समय आता है ,इसलिए ऐसे संकट समय के लिए धन अवश्य ही अपने पास रखे ,लक्ष्मी को चंचल कहा
गया है | इसलिए इनका विशेष ध्यान रखना चाहिए |
8.यह एक सत्य है कि स्त्रिओ का खाना पुरुषो से दुगुना ,लज्जा चार गुनी सहारा छ: गुना ,काम वेग आठ गुना होता है | इस तरह औरत इन
सब बातो मे सबसे आगे हुआ करती है , जो हम सोच भी नही सकते | जहर मे यदि अम्रत मिले ,सोना यदि गंदी जगह पड़ा हो नीच आदमी से
भी यदि कोई रास्ता मिल सके ,दुष्ट कुल से भी यदि सुशील कन्या मिल रही हो तो उसे ले लेना चाहिए | ऐसा करने वाले कभी घाटे मे नही रहते |
9. पुत्र कैसा हो ? पिता का आज्ञाकारी हो |पिता कैसा हो ? जो सन्तान को अच्छी तरह पाल सके ,उसे अच्छी शिक्षा दे सके |मित्र कैसा हो ?
जो विश्वाश का पात्र हो , जो दुःख मे काम आ सके | पत्नी कैसी हो ?जिसमे सच्चा आनन्द प्राप्त हो ,जो प्यार दे ,दुःख- सुख मे बराबर
की साथी हो |
10.ऐसे मित्र से सदा दूर रहो , जो मुहँ का मीठा हो और पीठ के पीछे बुराइया और बनते कामो मे रोड़ा अटकाता हो |ऐसा दोस्त उस जहर भरे मटके
समान होता है जिसके मुहँ पर थोडा सा दूध भर दिया गया हो | बुरे मित्र का विश्वाश मत करो | अच्छे मित्र का भी पूर्ण रूप से विश्वास मत करो ,
उसे भी दिल के सारे भेद नही देने चाहिए |यदि कभी भी आप अमीर हो जाये तो वह आदमी कमजोरियों को उछाल कर बदनाम कर सकता हैं |