1. जीवन में सफलता पाने के लिए एक श्रेष्ठ गुरु का होना बहुत जरूरी माना गया है। गुरु ही मनुष्य को सही और गलत में फर्क करना और जिम्मेदारियों का पालन करना सिखाता है जो व्यक्ति अपने गुरु और उनके द्वारा दी गई शिक्षा पर विश्वास नहीं रखता है। उसे जीवन में कई कठिनाइयो का सामना करना पड़ता है।
2. सोने के साथ मिलकर चांदी भी सोने जैसी दिखाई पड़ती है अर्थात सत्संग का प्रभाव मनुष्य पर अवश्य पड़ता है।
3. जिस आदमी से हमें काम लेना है , उनसे हमे वही बात करनी चाहिए। जो उसे अच्छी लगे। जैसे एक शिकारी हिरन का शिकार करने से पहले मधुर आवाज में गाता है।
4. जो जिस कार्ये में कुशल हो उसे उसी कार्ये में लगना चाहिए।
5. गरीब धन की इच्छा करता है, पशु बोलने योग्य होने की, आदमी स्वर्ग की इच्छा करते हैं और धार्मिक लोग मोक्ष की।
6. कभी किसी के सामने अपनी सफाई पेश मत करना क्योकि जिसे तुम पर विश्वास है उसे सफाई देने की जरूरत नहीं और जिसे तुम पर विश्वास नहीं वो मानेगा नहीं।
7. ज्ञान का उपयोग में न लाया जाये तो वह खो जाता है। इसलिए हमें अपने ज्ञान का उपयोग समाज के कल्याण और मानव जाति की भलाई में करना चाहिए ।
8. बचपन के अलावा उम्र के किसी भी स्तर पर यदि व्यक्ति अपने भोजन के लिए दुसरो पर निर्भर रहता है। तो वह अभागा होता है। हमें अपनी युवा अवस्था में बुढ़ापे के लिए उचित व्यवस्था करनी चाहिए।
9. एक राजा की ताकत उसकी शक्तिशाली भुजाओं में होती है। ब्राह्मण की ताकत उसके आध्यात्मिक ज्ञान में और एक औरत की ताक़त उसकी खूबसूरती, यौवन और मधुर वाणी में होती है।
10. जिसके मन में पाप का वास हो गया है वह बाहर से कितनी भी कोशिश कर ले खुद को साफ दिखाने का उसका मन वैसा ही रहता है। जैसे बर्तन में रखी शराब आग में झुलसने के बाद भी पवित्र नहीं होती।
11. जिस स्थान पर ज्ञानी और विद्वान् लोग रहते है। उस स्थान पर घर बनाना सुखद होता है। ऐसे लोगो के साथ से आचरण सही रहता है। और बच्चो की परवरिश के लिए सही माहौल मिलता है।
12. जो बीत गया, सो बीत गया। यदि हमसे कोई गलत काम हो गया है तो उसकी चिंता न करते हुए वर्तमान को सुधारकर भविष्य को संवारना चाहिए।