1. मनुष्य अकेला जन्म लेता है, अकेला दुःख भोगता है, अकेला ही मोक्ष का अधिकारी होता है और अकेला ही नरक में जाता है अंतः रिश्ते नाते जो क्षण भंगुर है हमें अकेले ही दुनिया के मंच पर अभिनय करना पड़ता है
2 सुपात्र को दिए गए दान का फल अनंत काल तक मिलता रहता है भूखे को दिए गए भोजन का यश कभी खत्म नहीं होता दान सबसे महान कार्य है
3. कर्म विदया, सम्पति, आयु और मृत्यु | मनुष्य की ये पांच चीजे गर्भ धारण के वक्त ही मिल जाती है |
4 . पराई स्त्री के साथ व्यभिचार करने वाला, गुरु और देवता का धन हरण करने वाला और हर तरह के प्राणियो के बीच रहने वाला यदि ब्राहमण भी है तो वह चाण्डाल कहलाएगा
5. अपमान, क़र्ज़ का बोझ, दुष्टों की सेवा – अनुचरी , दरिदरता, पत्नी की मृत्यु आदि बिना तप के ही शरीर को जला देती है |
6. अप्रिय बोलना, दुष्टों की संगति, क्रोध करना, स्वजन से बैर ये सब नरकवासियों के लक्षण है |
7. किसी से अपना काम निकलवाना हो तो मधुर वचन बोले । जिस प्रकार हिरन का शिकार करने के लिए शिकारी मधुर स्वर में गीत गाता है ।
8. परमात्मा का ज्ञान हो जाने पर देह का अभिमान गल जाता है । तब मन जहां भी जाता है, वही समाधि लग जाती है ।
9. दुष्टों तथा कांटो का दो ही प्रकार का उपचार है – जूतों से कुचल देना या दूर से ही उन्हें देखकर मार्ग बदल लेना ।
10. दुष्टों का साथ छोड़ दो , सज्जनों का साथ करो, रात – दिन अच्छे काम करो तथा सदा ईश्वर को याद करो ।