1.ज्ञान से बढकर दूसरा गुरु नही ,कामवासना के समान दूसरा रोग नही ,क्रोध के समान आग नही ,और अज्ञानता के
दूसरा शत्रु नही |
2.सिह से हमे सीखना चाहिए कि काम छोटा हो या बड़ा पूरी शक्ति से करे |जिस प्रकार सिहं शिकार छोटा हो या बड़ा
वह अपनी पूरी शक्ति से झपटता है |
3.ब्राह्मण ,गुरु अग्नि ,कुंवारी कन्या ,बालक व्रद्वो को पैरो से नही छुना चाहिए | ये सभी आदरणीय है | हमे इन्हे आदर
सम्मान देना चाहिए |
4.अपनी संतानों को जो माता पिता उचित शिक्षा नही दिलवाते , वे उनके शत्रु है | समय का चक्र किसी के रोके नही रुकता
चलता रहता है |अत: समय को पहचान कर तदनुसार कर्म करना चाहिए |
5.गाय चाहे जो भी खाले ले दूध ही देगी | इसी प्रकार विद्वान् कैसा भी आचरण करे , वह निश्चित ही अनुकरणीय होगा |
परन्तु यह तथ्य केवल समझदार ही समझ सकते है |
6.होनी को कोई नही टाल सकता | होनी होकर ही रहती है | होनी के वक्त वैसा ही अनुकूल वातावरण बन जाता है ,हमारी
बुधि भी तदनुकूल ही कार्य करने ल्हती है |
7.बिना मंत्री का राजा ,नदी के किनारे व्रक्ष दुसरे के घर जा कर रहने वाली स्त्री -ये सभी शीघ्र नष्ट हो जाते है अर्थात बिना
मंत्री का राजा कूटनीति के अभाव मे राजपाट से हाथ धो बैठता है |नदी के किनारे सिथत विशाल व्रक्ष भी जल के प्रभाव से
कभी भी भ सकता है |और दुसरे की पत्नी बन जाने पर स्त्री कभी भी ठुकराई जा सकती है |
8.जो व्यक्ति सभी प्राणियों के प्रति समान भाव रखता है , दुसरो के धन को मिटटी के समान समझता है |और पर स्त्री को माता |
वही सच्चा विद्वान् और ब्राहाण है |
9.गधा बहुत संतोषी जीव है | थकने पर भी वह बोझ ढोता रहता है | सर्दी -गर्मी की उसे प्रवाह नही रहती ,संतोष भाव से जो मिल
जाये ,उसी मे गुजर करना ,ये बाते गधे से सीखनी चाहिए |
10.अन्न से बढकर कोई दान नही होता | दाद्शी की तिथि सर्वोपरी है | गायत्री मन्त्र सर्वश्रेष्ठ है | और माता पिता से श्रेष्ठ कोई नही |