1.जो स्त्री पतिव्रता है, प्रेमी है, सत्य बोलती है, पवित्र और चतुर है – वह निश्चत ही वरणीय है । ऐसी स्त्री पाने वाला सचमुच ही सौभाग्यशाली होगा ।
2. भावनाएं आदमी को आदमी से जोड़ती है । दूर रहने वाला भी यदि हमारा प्रिय है तो वह हमेशा दिल के पास रहता है । जबकि पडोस में रहने वाला भी हमारे दिल से कोसों दूर ही रहता है क्योकि उसके लिए हमारे दिल में जगह नहीं होती ।
3. बुद्धिमान वही है जो अपनी कमियों को किसी पर उजागर न करे । घर की गुप्त बातें, धन का विनाश, निकृष्टों द्धारा धोखा, अपमान, मन का संताप इन बातों को अपने तक ही सीमित रखना चाहिए ।
4. अपने रहस्य हर किसी पर उजागर नहीं करने चाहिए, कुछ रहस्य तो ऐसे कहे गए है, जिन्हे अपनी पत्नी से भी छुपाना चाहिए । अतः यहां सावधानी बरतनी आवश्यक है ।
5.दिन में दीपक जलाना, समुंद्र में वर्षा, भरे पेट के लिये भोजन और धनवान को धन देना व्यर्थ है ।
6. कन्या के लिए सदा श्रेष्ठ कुल का वर ही तलाश करना चाहिए । पुत्र को शिक्षा प्राप्त करने में लगाना चाहिए । शत्रु को सदा कष्टों और मुसीबतों के घेरे में जकड़े रखना चाहिए और मित्र को सदा धर्म – कर्म के कार्यों में लगा देना चाहिए ।
7. जब दुर्जन और सांप आपके सामने हो तो इनमें से जब एक को चुनना हो तो सांप दुर्जन से अच्छा होता है । क्योंकि सांप तो काल के आ जाने पर ही काटता है किन्तु दुर्जन तो पग पग पर नुकसान पहुंचाता है ।
8. स्त्री सब कुछ कर सकती है, कवि सब – कुछ देख सकता है, शराबी सब कुछ कह सकता है, कौआ सब कुछ खा सकता है । मनुष्य का स्वभाव ही उसे उच्च व निम्न बनता है ।
9. समझदार वही है जो फूंक – फूंककर कदम रखे, पानी को छानकर पिए, शास्त्रानुसार वाक्य बोले और सोच – विचारकर कर्म करे । इस तरह किये गए कार्य में सफलता अवश्य मिलती है ।
10 दुर्जन को साहस से, बलवान को अनुकूल व्यवहार से और समान शक्तिशाली को नम्रता से अथवा अपनी शक्ति से वश में करना चाहिए ।
1. मनुष्य अकेला जन्म लेता है, अकेला दुःख भोगता है, अकेला ही मोक्ष का अधिकारी होता है और अकेला ही नरक में जाता है अंतः रिश्ते नाते जो क्षण भंगुर है हमें अकेले ही दुनिया के मंच पर अभिनय करना पड़ता है
2 सुपात्र को दिए गए दान का फल अनंत काल तक मिलता रहता है भूखे को दिए गए भोजन का यश कभी खत्म नहीं होता दान सबसे महान कार्य है
3. कर्म विदया, सम्पति, आयु और मृत्यु | मनुष्य की ये पांच चीजे गर्भ धारण के वक्त ही मिल जाती है |
4 . पराई स्त्री के साथ व्यभिचार करने वाला, गुरु और देवता का धन हरण करने वाला और हर तरह के प्राणियो के बीच रहने वाला यदि ब्राहमण भी है तो वह चाण्डाल कहलाएगा
5. अपमान, क़र्ज़ का बोझ, दुष्टों की सेवा – अनुचरी , दरिदरता, पत्नी की मृत्यु आदि बिना तप के ही शरीर को जला देती है |
6. अप्रिय बोलना, दुष्टों की संगति, क्रोध करना, स्वजन से बैर ये सब नरकवासियों के लक्षण है |
7. किसी से अपना काम निकलवाना हो तो मधुर वचन बोले । जिस प्रकार हिरन का शिकार करने के लिए शिकारी मधुर स्वर में गीत गाता है ।
8. परमात्मा का ज्ञान हो जाने पर देह का अभिमान गल जाता है । तब मन जहां भी जाता है, वही समाधि लग जाती है ।
9. दुष्टों तथा कांटो का दो ही प्रकार का उपचार है – जूतों से कुचल देना या दूर से ही उन्हें देखकर मार्ग बदल लेना ।
10. दुष्टों का साथ छोड़ दो , सज्जनों का साथ करो, रात – दिन अच्छे काम करो तथा सदा ईश्वर को याद करो ।
“यह कौन है ? काला -कलूटा भूत जैसा कुरूप ! जिसकी शक्ल देखने से ही मन खराब हो जाता हैं |कैसे आया यह हमारे राज दरबार मे ? कैसे बैठ यह मनहूस हमारे सामने ? ” राजा नन्द क्रोध से लाल पीला होता हुआ चीख उठा |उसकी आँखों से जैसे अंगारे बरस रहे थे |क्रोध के मारे उसके हाथ -पांव कांप रहे थे ऐसा प्रतीत होता था मानो राजा नन्द सामने बैठे उस काले आदमी को मृत्युदंड देगा | लेकिन न जाने कौन सी मजबूरी थी जिसके कारण वह अभी तक उसे मृत्युदंड न दे सका था | “महाराज ! आप को थूक दिजिय | यह तो हमारे महापण्डित विष्णुगुप्त शर्मा हैं |” महामंत्री ने राजा का गुस्सा ठंडा करने का प्रयास करते हुए नम्रतापूर्वक कहा | “नही …नही …ऐसे भयंकर चेहरे वाला ,बहुत की नस्ल का आदमी कभी भी महापंडित नही हो सकता |इसे देखते ही मेरा मन खराब हो रहा हैं | यह ब्राहमण हैं अथवा कोई चंडाल ? निकाल दो इसे हमारे दरबार से |दूर कर दो इसे मेरी नजरो से |कही ऐसा न हो कि मुझे इसका वध करने का आदेश देना पड़े | सभा मे बैठे पण्डित विष्णुगुप्त के मन मे यह अपमानजनक शब्द सुनकर क्या बीती होगी ? एक तो ब्राहमण और उस पर इतना बड़ा विद्वान् | इतने पर भी वह त्यागी और तपस्वी | ब्राहमण का क्रोध तो दुनिया भर मे प्रसिद हैं | मगर त्यागी , तपस्वी और विद्वान् का अपमान जब कोई मुर्ख करता हैं | तो ब्राहमण की सहन शक्ति भी दम तोड़ देती हैं | ब्राहमण के पास कोई हथियार नही होता | मगर उसका प्रचंड क्रोध जब प्रकट होता हैं तो बडो -बडो का भी नाश कर देता हैं |उसका शाप कई कुलो को नाश कर देता हैं |उसकी बुदी की शक्ति से बड़े -बड़े बहादुर राजा भी धुल चाटने पर मजबूर हो जाते हैं | ऐसे ही एक ब्राहमण का नाम था पण्डित विष्णुगुप्त शर्मा अथार्त चाणक्य | उसने राजा नन्द अपमानजनक शब्द सुनकर यह प्रतिज्ञा की थी —-“मै इस राजा का नाश करके रहूँगा |जब तक इस अपमान का बदला न ले लू ,तब तक मै चैन से नही बैठुगा | जब तक इस राजा की मुर्खता का सबक इसको न सिखा दूंगा ,तब तक सिर के बाल नही संवारूँगा “
‘पंडित ‘ विष्णुगुप्त चाणक्य आज पुरे विश्व मे चाणक्य पंडित के नाम से प्रसिद्ध हैं |उसकी की प्रसिदी का सबसे बड़ा कारण उसकी यह रचना हैं |
जिसे ‘चाणक्य नीति ‘ के नाम से संस्क्रत साहित्य से रूपांतरित करके पाठको के लिए प्रस्तुत किया जा रहा हैं |
भारत की इस महान धरती पर रचित चाणक्य नीति की सबसे बड़ी विशेषता यही रही हैं कि यह विश्व की अनेक जुबानो मे अनुवादित होकर
अपनी लोकप्रियता के झंडे गाड चुकी हैं | यदि इसे नीति का सागर कहा जाये तो कोई अतिश्योकित नही होगी
इस नीति की सफलता का कारण क्या हैं ? यह रहस्य जानने के लिए अनेक पाठकगण व्याकुल होगे |
जिस नीति की शक्ति से एक साधारण सैनिक भारत का सम्राट बन जाये उस नीति को सफल ही माना जायेगा |
मौर्य वंश का इतिहास भारत वंश के इतिहास मे एक विशेष स्थान रखता हैं |इसी वंश का राजा था —‘चन्द्रगुप्त मौर्य ‘ जिसे चाणक्य ने अपनी
शिक्षा और नीतियों के ज्ञान से भारत का सम्राट बना दिया |
चाणक्य के जन्म के बारे मे हमारा इतिहास कोई विशेष सहायता नही कर पाता |मगर जैसा कि इतिहास मे लिखा गया हैं |कि महापंडित विष्णुगुप्त
‘तक्षिशला विश्वविधालय ‘मे अर्थशास्त्र का आचार्य था |उस विश्वविधालय मे ही उसकी शिक्षा -दीक्षा पूरी हुई थी |यह 325 ईसा पूर्व की बात हैं |उस समय
भारत पर सम्राट चन्द्रगुप्त का शासन था |वही समय चाणक्य का भी था |
चाणक्य का निवास स्थान शहर के बाहर पर्णकुटी मे था |यह देखकर चीन के एतिहासिक यात्री फाहान को बड़ा आश्चर्य हुआ |उसने चाणक्य से
प्रश्न किया कि इतने बड़े देश का प्रधान मंत्री ऐसी झोंपड़ी मे रहता हैं ? उतर मे चाणक्य ने कहा जिस देश का प्रधान मंत्री साधारण कुटिया मे रहता हो , वहाँ
के निवासी भव्य भवनों मे निवास किया करते हैं और जिस देश का प्रधान मंत्री ऊँचे महलो मे रहता हो ,वहाँ की आम जनता तो झोंपडियो मे ही रहती हैं |
इस प्रकार महापंडित चाणक्य ने आज के शासको के मुंह पर हजारो वर्ष पूर्व ही करारा तमाचा मारा था |
वह देश महान क्यों न होगा जिस का प्रधान मंत्री इतना ईमानदार हो | काश ! आज के नेतागण चाणक्य से कुछ सीख सके |यही सोचकर इस महान ग्रंथ
को सरल हिन्दी रूप मे प्रस्तुत किया जा रहा हैं ताकि इस देश के आम लोगभी इस ज्ञान से लाभ उठा सके |
विदान पंडित का सारा जीवन संघर्शो से भरा पड़ा था |इसलिए अलग से जीवन परिचय भी लिखा हैं |जो पाठको को पहली बार पढने को मिलेगा |
वैसे चाणक्य का जन्म स्थान उसकी शिक्षा ‘तक्षिशला विश्वविधालय मे होने के कारण पंजाब ही हैं |यह शहर आजकल बंटवारे के पश्यात पाकिस्तान मे हैं |
जेह्लुम नदी के किनारे बसे तक्षिशला शहर मे इतिहास के खंडहर ही देखे जा सकते हैं |आज भी वहाँ चाणक्य की यादे उसकी नीति के रूप मे हमे नजर आती हैं
चाणक्य अपने साहित्य के कारण अम्र हैं और जब तक यह संसार हैं तब तक लोग चाणक्य को नही भूलेगे |
1. सृष्टि के स्वामी ब्रहा ने सोने मे सुगंध नही डाली ,ईख के खेतो मे फल नही लगाए,चन्दन के व्रक्ष मे फूल नही लगाए,विद्वान् प्राणियो को
धनी और राजा को दीर्घजीवी नही बनाया |इससे तो ऐसा पता चलता हैं कि पूर्व काल मे ईश्वर को बुदी देने वाला नही था |
2.विधार्थी ,नौकर , राही ,भूख से पीड़ित डर से डरा हुआ ,भंडारी और दारपाल यदि यह मात्र सोते हैं तो इन्हे हर हाल मे जगा देना चाहिए
इनके सोने से हानि होती हैं और जागते रहने से लाभ होता हैं |
3.सांप ,राजा ,बाघ ,सूअर ,बालक ,दुसरे का कुता और मुर्ख यदि यह सब के सब सो रहे हो तो इनको जगाने की भूल नही करनी चाहिए |
4.जिसको गुस्सा आने पर उससे कोई नही डरता और खुश होने पर धन प्राप्त होने की आशा नही करता ,जो न तो दण्ड दे सकता हैं और न ही
क्रपा कर सकता हैं ,ऐसे प्राणी यदि रूठ भी जाये तो किसी का क्या बिगाड़ सकते हैं |
5.जिन सांपो मे जहर नही होता ,उन्हें भी अपना फन फैलाना चाहिए |यह तो कोई नही जानता कि इस फन मे जहर है कि भी नही | हाँ
आडम्बर से दुसरे लोग डर अवश्य ही जाते हैं |
6.मुर्ख लोग सुबह के शुभ समय जुआ खेलना आरम्भ कर देते हैं |दोपहर के समय नारी के साथ सम्भोग करते हैं |और रात के समय
चोरी अथवा अन्य बुरे काम करने के लिए घर से निकलते हैं |
7. अपने हाथ से गुंथी हुई माला ,अपने हाथ से घिसा हुआ चन्दन और अपने हाथ से लिखा हुआ स्तोत्र | यह सारे काम इंद्र देवता
की शोभा और लक्ष्मी को हर लेते हैं |अथवा जो लोग माला को गूंथते हैं उसका परिश्रम उस लाभ से भी अधिक होता हैं |जो इसके
धारण करने से होता हैं |
8.ईख ,तिल, क्षुद्र नारी सेना .जमीन ,चन्दन -दही और पान को जितना भी मिलाया जाता हैं ,उतने ही उसके गुण बढ़ते हैं |
9.जो प्राणी निर्धन हैं ,गरीब हैं वह धन से हीन नही हैं |यदि वह विद्या रूप धन रखता हैं |तो इसमे क्या संदेह हैं |कि वह धनवान हैं |
विद्या तो ऐसा धन हैं जो सबसे अनमोल हैं | परन्तु जिन लोगो के पास विद्या धन नही हैं ,वे सभी चीजो से हीन माने जाते हैं |
10.हर मानव के लिए यह जरूरी हैं कि वह नीचे धरती पर अच्छी तरह देखकर ही अपने कदमो को आगे बढाये |जल को कपड़े से
छान कर पीये | शास्त्रों के अनुसार ही सोच -समझकर वचन बोले तथा मन मे सोच -विचार करके ही अच्छे और शुभ व्यवहार करे |
ऐसे ही लोग उन्नति करते हैं और समाज मे सम्मान पाते हैं |
1.सोना आग मे डालने के पश्चात भी अपनी चमक नही खोता ,इसी प्रकार से अच्छे खानदानी लोग कही भी चले जाये वे अपने गुणों को नही छोड़ते |गुण ओर उनकी अच्छाई सदा ही उनके साथ रहते हैं |
2.इस धरती पर कोन ऐसा हैं ,जिसे धन पाकर गर्व न हुआ हो |ऐसा कोन प्राणी हैं ,जिसे नारी ने व्याकुल न किया हो |कोन मौत के पंजे से बच पाया हैं |कोन ऐसा हैं जो ब्रै के जाल मे न फंसा हो |कोन ऐसा हैं , जो मजेदार खानों को देखकर मुहँ मे पानी न भर लाया हो |श तो यह हैं कि हम सब के सब हमाम मे नंगे हैं |
3.इस संसार मे बड़ा कोन हैं ?नये कपड़े अथवा दानी |धोबी जो सुबह के समय वस्त्र लेकर ,रात को वापिस आता हैं |चालाक कोन हैं दुसरो के धन औरत औरत का हरण करने मे सभी चतुर हैं |यह सब कैसे जीते हैं ? गंदगी के कीड़े केवल गंदगी मे ही जीते हैं |इन सब चीजो को देखकर ही तो कहा गया हैं |कि बड़ा आदमी केवल अपने गुण और कार्य से ही पहचाना जाता हैं | अच्छे कपड़े पहन लेने से सुंदर स्वस्थ शरीर वाले लोग यदि अपने अन्दर कोई गुण नही रखते ,तो उन्हें बड़ा नही कहा जा सकता |
4.पुरुष की तुलना मे नारी का आहार दो गुना, शर्म चार गुनी ,साहस छ: गुना और कामवासना आठ गुनी अधिक होती हैं | नारी पुरुष की अपेक्षा कही अधिक कोमल होती हैं |किन्तु वह पुरुष से अधिक भोजन करती हैं |इसी कारण उसमे वासना की आग पुरुष से अधिक होती हैं |नारी फल भी हैं और पत्थर भी |राजा पत्नी गुरु -पत्नी और सास , माता के समान होती हैं |इसलिए इनको बुरी नजर से नही देखना चाहिए |इनका माँ के समान ही आदर करना चाहिए |ऐसा न करने वाले महापापी कलंकी होते हैं |उन लोगो की तो छाया से भी बचना चाहिए |
5. सोने मे खुशबु नही होती | ईश्वर के साथ किसी ने चन्दन का फूल खिलते नही देखा | चाँद दिन मे नही निकलता |क्या विधाता इन सब कर्मो को बदल नही
सकता था ? ऐसा करने के लिए कोई विधाता को बुदी देने वाला कोई नही था ? यह सोच कर आप भी हैरान होंगे |परन्तु |यह मत भूले कि यह सब कुछ प्रकति के
नियमानुसार ही हो रहा हैं |इन नियमो का पालन विधाता को भी करना पड़ता हैं |इन्ही नियमो के उपर प्रकति चल रही हैं |
6.जिस प्राणी की माता लक्ष्मी और पिता स्वयं भगवान हो ,विष्णु के उपासकउसके भाई हो ,तीनो लोक उसके लिए अपने देश के समान हो जाते हैं
वह सदा सुखी रहता हैं |
7.सेवा का अवसर आने पर सेवको का पता चलता है |रिश्तेदारों का पता दू;ख के समय पता लगता हैं | दोस्ती का पता भी संकट की घड़ी मे
लगता हैं पत्नी के प्यार की परीक्षा भी उस समय ली जाती जब आदमी निर्धन हो जाता हैं |जो दू;ख और गरीबी मे साथ देते हैं ,उन्हें ही अपना
सच्चा साथी मानना चाहिए | जो लोग मिली हुई चीज को छोडकर उस चीज के पीछे भागते हैं जिसके मिलने की कोई आशा ही न हो ,ऐसे लोग
मिली होई चीज भी खो देते हैं |ऐसे लोगो को देखकर कहा गया हैं कि आधी छोड़ सारी कर दौड़ा ,आधी भी न रहा |
Chanakya Niti,Motivational,Quote
1.बुदिमान लोगो के लिए यह जरूरी है कि वह अपने बुरे समय के लिए धन कमाकर रखे और उस धन की रक्षा भी
पुरे ध्यान से करे |परन्तु धन और स्त्री से भी अधिक उन्हें अपनी रक्षा की और ध्यान देना अति आवश्यक है ,क्योकि
जब उनका अपना ही नाश हो जायेगा तो धन और स्त्री किस काम आयेगे ?
2.जो लोग बने हुए काम को छोडकर न बनने वाले काम के पीछे भागते है , उनका बना हुआ काम भी बिगड़ जाता है |
जो पहले से ही न होने वाला है वह तो तो पहले से नष्ट है ही |
3.विष मे अम्रत को ,अशुद पदार्थो मे सोने को ,नीच से भी शिक्षा को और दुष्ट कुल से नारी रत्न को बिना संकोच के
ग्रहण कर लेना चाहिए |
4.पुरुषो से नारियो का आहार दुगुना ,बुधि चौगुनी , साहस छ: गुना | और काम भाव आठ गुना बताया गया है |
5.ऐसे लोग जो मुह पर तो मीठी -मीठी बाते करते है लकिन पीठ के पीछे सब कामो को बिगाड़ देते है उनको त्याग
देना चाहिए क्योकि वह सब उस विषकुंभ के समान है जिसके उपर तो दूध ही दुध भरा होता है |परन्तु उसके अन्दर
विष भरा होता है |ऐसे लोगो से सावधान रहना चाहिए |
6.सारे पहाड़ो पर हीरे -जवाहरात नही होते अथार्त हर पत्थर हीरा नही होता |सभी हाथियों के मस्तक मे मोती नही
होता | अच्छे और भले लोग हर स्थान पर नही मिलते और हर जंगल मे चन्दन के पेड़ नही होते |
7.जो माँ -बाप अपने बच्चो को अधिक लाड प्यार से पालते है ,उनकी हर अच्छी -बुरी इच्छा पूरी करते है , ऐसे बच्चो
मे अनेक बुरी आदते जन्म ले लेती है जो बड़े होने पर उनकी प्रगति मे रोड़ा बन जाती है |इसलिए बचपन से ही बच्चो
को बुरी आदतों से बचाकर रखना चाहिए |लाड -प्यार करने के साथ ही बच्चो को समय -समय पर प्रताड़ित भी करते रहना
चाहिए |
8.यदि कोई मुर्ख प्राणी आपको मिले तो उसका त्याग करो | क्युकी वास्तव मे वह दो पांव का पशु होता है | ऐसे प्राणी वचन
रूपी बाणों से मनुष्य को ऐसे बींधता है जैसे रास्ते का काँटा शरीर मे चुभकर उसे बींधकर एक दर्द पैदा करता है |
9.राजा लोग केवल एक बार आज्ञा देते है , पण्डित लोग एक बार बोलते है |अपनी प्रतिज्ञा पर द्रढ़ रहते हुए कन्या दान भी
केवल एक बार ही किया जाता जाता है | यह तीनो बातो केवल एक बार होती है |बार -बार यह सब नही होता |
10.पत्नी वही है जो पवित्र हो ,जो चतुर हो , जो पतिव्रता बन रहे ,जो अपने पति से प्रेम करती हो , जो सत्य बोले ,झूठ से
घ्रणा करे ,केवल इसी ही नारी मान- सम्मान और पालन -पोषण करने योग्य मणि गई है |
1.पहले क्या किसी ने सोने का म्रग देखा था ? कभी नही , फिर सीता जी देखा था , राम जी देखा था , राम जी ने उसी हिरन
का पीछा किया ,इसके फलस्वरूप सीता -हरण भी हुआ ऐसा इसलिए हुआ कि विनाश काल आना था ,तभी तो हर काल का
उल्टा होता चला गया इसलिए कहा गया है विनाश के दिन आते है तो बुधि नष्ट हो जाती हैं | शक्ति जिसमे नही , वह साधु
बन जाता हैं |जिसके पास धन न हो , वह ब्रह्मचारी बनता हैं | बूढी औरत सबसे से अधिक पतिव्रता बनती हैं | यह सबके सब
ढोंगी होते हैं जैसे कि कभी ताकतवर साधु नही बनता , धनवान ब्रह्मचारी नही बनता ,सेहतमंद आदमी भक्ति नही करता ,
सुंदर नारी पतिव्रता धर्म के गुण कं ही गति हैं |
2.राजा, वैश्या , यमराज ,आग, चोर , बालक ,याचक ,झगड़ा करने वाला ,यह आठो ऐसे हैं जिनके लिए दुसरो का दुःख -सुख
का कारण बनता हैं | कांचली मे सांप रहते हैं , कीचड़ मे कमल के फूल खिलते हैं , इसलिए प्राणी अपने ही गुणों से ऊँचा उठ
सकता हैं |
3.घटिया लोग सदा धन के लाभ मे अंधे रहते हैं | मध्य वर्ग के लोग धन के साथ -साथ अपनी इज्जत भी चाहते हैं |उतम
लोगो को केवल आदर सत्कार की भूख होती हैं | यह बात न भूले किधन से कहाँ अधिक इज्जत होती हैं |
4.हाथी को अकुंश से , घोड़े को चाबुक से ,सींग वाले पशु को डंडे से ,दुर्जन को तलवार से दंड देना चाहिए | प्रत्येक के साथ उनके
व्यवहार के हिसाब व्यवहार करना चाहिए |
5.विधार्थी ,नोकर , भूखा आदमी ,खजांची ,चोकीदार ,बुद्धिमान ,यदि वह लोग सो रहे हो तो इंन्हे जगा देना उचित होता हैं | क्यों ?
विधार्थी अगर सोया रहेगा , तो उसकी पढाई नही होगी नोकर सोयेगा तो मालिक उसे काम से निकल देगा |भूखा यदि सोया रहेगा
तो रोटी की तलाश कौन करेगा ? खजांची सोये तो खजाने की रक्षा कौन करेगा ? विद्वान सोएगा तो उसका काम कौन करेगा ?
6.जिन लोगो के क्रोध सहने पर डर पैदा होता हैं |जिसके खुश होने पर धन नही मिलता | जो न तो कोई सजा दे सकता हैं |न ही
किसी भलाई कर सकता हैं | ऐसे लोगो को चिकना घडा कहा जाता हैं |
7.जीवन मे कुछ कष्ट अधिक ही दु:खदायक होते हैं | इन कष्टों के कारण शरीर बिना आग के जल जाता हैं जैसा कि पत्नी
का वियोग ,अपनों द्वारा किया अपमान ,बचे हुए कर्ज का न दे पाना , दुष्ट राज की सेवा , दुष्टों का संग | यह सब चीजे दु:खदाई
होती हैं |
8.नदी किनारे पेड़ |दुसरो के घर रहने वाली अपनी पत्नी | बिना मंत्री का राजा | यह हर साल मे नष्ट हो जाते हैं | नदी के
किनारे का पेड़ नदी के कटाव के कारण गिर जाता हैं पत्नी अलग रहने के कारण अच्छा सलाह न पाने के कारण,राजा जब
राज न चला सके तो प्रजा विद्रोह कर देती हैं |
9.हर काम सीमा के अन्दर रहकर करना चाहिए | सीमा से बाहर किया हुआ हर काम नुकसान देता हैं | बहुत सुन्दर होने के कारण
सीता जी का अपहरण हुआ | सीमा से भी अधिक गर्व करने के कारण रावण मारा गया | सीमा से बाहर आकर दान
से राजा बलि को बन्धन मे बंधना पड़ा |
10.असली दोस्त वही हैं जो दोस्त के काम आये सच्चे दोस्त को भाई के समान माना गया हैं | यही कारण हैं कि दोस्ती ही
इंसान के काम आती हैं |
.1.वह नारी उतम मानी जाती हैं जो पवित्र हो ,चालाक हो ,चालाक को पतिव्रता हो | जो अपने पति से प्रेम करती हो ,सत्य बोलती हो ,
ऐस गुणों वाली औरत जिस घर मे होगी वह घर सदा सुख के झूलो मे झूलेगा |उस घर मे खुशियाँ ही खुशियाँ होगी |उसी घर को भाग्यशाली
घर कहा जा सकता हैं |
2. इस संसार का हर प्राणी औरत को पालने की आशा करता हैं |यहाँ तक की बड़े -बड़े विद्वान् ,महापंडित ,ज्ञानी ,देवता ,आखिर यह सब
क्यों होता हैं |यह आपने कभी सोचा |
3.इस संसार की सबसे बड़ी शक्ति कोंन- सी हैं ? क्या आप कल्पना कर सकते हैं | कि इस संसार को जीत लेने वाला पुरुष उस शक्ति
के आगे ऐसे पिंघल जाता हैं जैसे आग के सामने मोम |वह शक्ति -नारी की जवानी और सुन्दरता |
4.अत्यंत सुंदर औरत का शरीर क्या हैं ? मांस , हाड़ और उसके यौवनांग |पुरुष इसी मे खो जाना चाहता हैं | किन्तु सत्य यह हैं |
कि यही सबसे बड़ा नर्क हैं | आप इससे जितना भी बच कर रहेगे ,उतना ही लाभ होगा |
5.औरत कितनी भी बड़ी हो जाये ,किन्तु वह अपने को सदा सुंदर और जवान ही समझती रहती हैं |उसकी यही इच्छा होती हैं |
कि वह सदा जवान ही रहे तांकि पुरुष उसके पीछे -पीछे घूमता रहे |
6.औरत के चेहरे की सुन्दरता और उसके शरीर की बनावट पर पुरुष मरता हैं |यही कारण हैं कि वह एक औरत के साथ रहते
हुए भी किसी दूसरी औरत को बुरी नजरो से देखता हैं |
7.मासिक धर्म के पश्चात नारी कुवांरी लडकी जैसी ही पवित्र हो जाती हैं | पुरुष को यह सलाह दी जाती हैं कि भूलकर भी मासिक धर्म
के दिनों मे औरत से सम्भोग न करे |
8.इस दुनिया मे अधिकतर ,युद्ध,दुर्घटनाए ,केवल नारी के कारण ही हुई हैं |इसीलिए बुदिजीवी को यही सलाह दी जाती हैं कि ये औरत
के इस माया जाल से दूर रहे |
9.जो नारी सुबह के समय अपने पति की सेवा ,माँ के समान करती हैं और दिन मे बहन के समान प्यार देती हैं |और रात मे वेश्या की
भांति ,उसे अपने शरीर का आनन्द दे उसे ही सत्य से अच्छी और गुणवान पत्नी माना जाता हैं |
10.परिवार के झगड़ो के पीछे अधिकतर हाथ नारी का ही होता हैं |इसलिए बुद्धिमान पुरुषो को यह सोच लेना चाहिए कि केवल औरत के पीछे
लड़ने झगड़ने का कोई लाभ नही | यह थे नारी के बारे मे चाणक्य जी के विचार |
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1.अपने बढो के आगे कभी झूठ मत बोलो | राजा के आगे झूठ बोलने से मृत्यु दंड मिल सकता है |दुश्मन के साथ धोखा
करने से धन का नाश होता है | ब्राह्मण के साथ धोखा करने से कुल का नाश होता है | इसलिए कभी झूठ मत बोलो |
2.अपने भाइयो ,सगे सम्बन्धियों के बीच छोटा बन कर रहने से तो कही अच्छा है किआदमी जंगल मे जा कर रहने लगे |
जहाँ पर बड़े -बड़े हाथी बाघ रहते हो | खाने के लिए पते और पीने के लिए तालाबो का गंदा पानी मिले |ऐसे वातावरण मे
भी तुम्हे आत्मिक शान्ति मिलेगी , क्योकि वहाँ आप अपने को छोटा नही समझेगे |
3.ब्राह्मण एक व्रक्ष के समान है | उसकी जड संध्या और दान शारदा है | पते धर्म -कर्म है | इसलिए जड की रक्षा बड़े ध्यान से
करनी चाहिए | यदि हथियार भी आदमी के पास हो और उसे चलाने की बुधि न हो तो बिना हथियारों वाले प्राणी से भी वह
हर जायेगा | इस तरह से बुधि बड़ी बलवान है |
4.अपने दायरे को तोड़ने वाला | अपनी सीमा से बाहर जाने वाला |ऐसे प्राणी सदा धोखा खाते हैं | हर प्राणी के जीवन की
एक सीमा होती हैं उसे अपने हालात, अपनी श्रदा , अपनी ताकत के अनुसार ही जीना चाहिए |
5.जो हर समय अपने ख्याल मे खोया रहे | उसे विध्या नही आ सकती | जो मासाहारी है , उसके मन मे दया नही होती |
जो कामुक हैं ,वह कभी पवित्र नही होता | यह भी सत्य हैं कि चील के घोंसले मे कभी मास नही होता |
6.जब किसी चीज के गुणों का पता नही चलता तो उसकी बुराई होने लगती हैं \ भ्लनी हाथी की कीमत नही जानती ,
फिर उसकी बुराई करके अपने मन को शांत कर लेती हैं | लोमड़ी जब अंगूरों तक पहुंच नही सकती , तो वह कहती हैं कि
यह अंगूर खट्टे हैं | मैं तो मीठे अंगूर ही खाती हूँ |
7.जो पाखंडी होता है दुसरो का काम बिगाड़ देता है अमीर आदमी जब धन का दुरूपयोग करता है तो वह अन्दर से वह
पापी होते है | बिल्ली भी इन्ही के स्वभाव वाली होती है |
8.महापुरुषों का चरित्र धन्य है |वैरागी लक्ष्मी को एक तिनके के समान समझता है | लक्ष्मी कितनी भी उसके पास आ
जाये वह मुहँ फेर कर चल देता है |इंद्रिय विजेता के रास्ते मे सुंदर से सुंदर औरत कितना भी प्रयास क्यों न करे वह कभी
उसके जाल मे नही फंसता |