- जिसके पास धन नहीं है वो गरीब नहीं है, वह तो असल में रहीस है, यदि उसके पास विद्या है. लेकिन जिसके पास विद्या नहीं है वह तो सब प्रकार से निर्धन है
- सोने की परख उसे घिस कर, काट कर, गरम कर के और पीट कर की जाती है. उसी तरह व्यक्ति का परीक्षण वह कितना त्याग करता है, उसका आचरण कैसा है, उसमे गुण कौनसे है और उसका व्यवहार कैसा है इससे होता है.
- समुद्र में होने वाली वर्षा व्यर्थ है. जिसका पेट भरा हुआ है उसके लिए अन्न व्यर्थ है. पैसे वाले आदमी के लिए भेट वस्तु का कोई अर्थ नहीं. दिन के समय जलता दिया व्यर्थ है.
- इंसान अपने श्रेठ गुणों और अच्छे चरित्र द्वारा ही श्रेठ सिद्ध होता है | ऊँचे आसन पर बैठने से कोई भी पुरुष श्रेठ नही बनता | क्या राज भवन की चोटी पर बैठने से कोआ गारुड बन सकता है |
- गुणवान को पाकर बुद्धिमान लोग बड़े खुश होते है | जैसे सोने में जड़ा हुआ रत्न दखने में अत्यंत सुन्दर लगता है