- शास्त्रों में पांच पिता बताए गए है —– जन्मदाता, विद्या देने वाला गुरु, भय से बचाने वाला, यज्ञोपवीत कराने वाला तथा अन्न देने वाला | इन सभी को पिता तुल्य समझ एक समान आदर व सम्मान करना चाहिए |
- शास्त्रों में पांच माताओ का वर्णन है —— राजा की माता, गुरुमाता, मित्र की पत्नी, पत्नी की माता तथा स्वयं की माता | इन सभी का समान रूप से आदर अपरिहार्य है | इन पर कुदृष्टि रखने वाला महाचंडाल होता है |
- नीम की जड़ में मीठा दूध डालने से नीम मीठा नही हो सकता, उसी प्रकार कितना भी समझाओ, दुर्जन व्यक्ति साधु नही बन सकता |
- भोजन महत्वपूर्ण नही है , महत्वपूर्ण है कार्य व उसके प्रति निष्ठा | पेट तो जानवर भी भर लेते है | अतः मनुष्य बनो |