‘पंडित’ विष्णुगुप्त चाणक्य आज पूरे विश्व में चाणक्य पंडित के नाम से प्रसिद्ध है |उसकी प्रसिद्धि का सबसे बड़ा कारण उसकी यह रचना है | जिसे ‘चाणक्य नीति’ के नाम से संस्कृत साहित्य से रूपांतरित करके पाठको के लिये प्रस्तुत किया जा रहा है |भारत की इस महान धरती पर रचित चाणक्य नीति की सबसे बड़ी विशेषता यही रही है | की यह विश्व की अनेक जुबानो में अनुवादित होकर अपनी लोकप्रियता के झंडे गाड़ चुकी है | यदि इसे नीति का सागर कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी|
इस नीति की सफलता का कारण क्या है ? यह रहस्य जानने के लिये अनेक पाठकगण व्यकुल होंगे |
जिस नीति की शक्ति से एक साधारण सैनिक भारत का सम्राट बन जाए, उस नीति को सबसे सफल ही मन जायेगा | मोर्यं वंश का इतिहास भारतवर्ष के इतिहास में एक विशेष स्थान रखता है | इसी वंश का राजा था — ‘चन्द्रगुप्त मोर्य ‘ जिसे चाणक्य ने अपनी शिक्षा और नीतियों के ज्ञान से भारत का सम्राट बना दिया |
चाणक्य के जन्म के बारे में हमारा इतिहास कोई विशेष सहायता नही कर पता | मगर जैसा की इतिहास में लिखा गया है की महापंडित विष्णुगुप्त ‘तकशिला विश्वविद्यालय ‘ में अर्थेशाश्त्र का आचार्य था | उस विश्वविद्यालय में ही उसकी शिक्षा-दीक्षा पूरी हुई थी | यह 325 ईसा पूर्व की बात है | उस समय भारत पर सम्राट चन्द्रगुप्त का शासन था | वही समय चाणक्य का भी था |
चाणक्य का निवास स्थान शहर से बाहर पूर्णकुटी में था | यह देखकर चीन के इतिहासिक यात्री फाहान को बड़ा आश्चर्य हुआ | उसने चाणक्य से प्रश्न की इतने बड़े देश का प्रधानमंत्री ऐसी झोपडी में रहता है ? उतर में चाणक्य ने कहा की जिस देश का प्रधानमंत्री साधारण कुटिया में रहता हो, वहां के निवासी भव्यं भवनों में निवासकिया करते है | और जिस देश का प्रधानमंत्रीऊँचे महलो में रहता हो , वहा की आम जनता तो झोपड़ियो में ही रहती है |
इस प्रकार महापंडित चाणक्य ने आज के शासको के मुह पर हजारो वर्ष पूर्व ही करारा तमाचा मारा था |
वह देश महान क्यों न होगा जिसका प्रधानमंत्री इतना ईमानदार हो काश ! आज के नेतागण चाणक्य से कुछ सीख सके| यही सोच कर इस महान ग्रन्थ को सरल हिंदी रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है ताकि इस देश के आम लोग भी इस ज्ञान से लाभ उ ठा सके |
विद्वान् पंडित का सारा जीवन संघर्षो से भरा पड़ा था |
इसलिए अलग से जीवन परिचय भी लिखा है जो पाठको को पहली बार पड़ने को मिलेगा |वैसे चाणक्य का जन्म स्थान उसकी शिक्षा तकशिला विश्वविद्यालय में होने के कारण पंजाब ही है | यह शहर आज कल बंटवारे के पश्चात पाकिस्तान में है | जेहलम नदी के किनारे बसे तकशिला शहर में इतिहास के खंडहर देखे जा सकते है | आज भी वहा चाणक्य की यादे उनकी नीति के रूप में हमें नजर आती है |
चाणक्य अपने साहित्य के कारण अमर है और जब तक यह संसार है तब तक लोग चाणक्य को नही भूलेंगे |