Chanakya Niti,Motivational,Vichar
1.किसी प्राणी के वंश का पता उसके व्यवहार से ही लग जाता है |ऊँचे वंश के लोगो की बोल चाल मे सभ्यता मिलेगी ,किन्तु
छोटी जाति के लोग भले ही बड़े हो जाए,उनमे यह सभ्यता नही आ सकती |
2.ब्राहाण केवल विधा के सहारे ही पण्डित कहलाता है | राजा अपनी सेना के सिर पर ही बहादुर होता है |बनिया अपनी
कारोबारी बुधि से ही दन कमाता है |
3.इस संसार मे कौन सा ऐसा प्राणी है ,जिसमे कोई दोष न हो |इस दुनिया मे कौन सा मानव है ,जिसे कोई दुःख न हो | यह बात मत
भूलो कि सदा कोई सुखी और न ही सदा कोई दुखी रहता है | जीवन तो धुप छांव है |
4.हर वैश्या गरीब का प्यार छोड़ देती है |प्रजा कभी भी उस राजा का साथ नही देती ,जो शक्तिशाली नही | पक्षी कभी उस पेड़ पर नही
बैठते जिस पर फल नही |
5.बुरे इन्सान और सांप मे कौन अच्छा है ?इस प्रश्न का उतर यही है कि सांप तो केवल एक ही समय आने पर ही काटता है किन्तु बुरे लोग
वे हर पल पर बुराई करते है इसलिए बुरा इन्सान तो हर समय बुराई करके सांप से भी भयंकर हो जाता है |
6एकता मे ही शक्ति हैं | बिखरे हजारो तिनो को हाथी रौंद डालता हैं | वही हजारो तिनके मिलकर ढाल बन हाथी को अपने बस मे कर लेटे हैं |
7.सागर सदा शांत और गम्भीर रहता हैं |किन्तु प्रलह काल मे वह भी अपनी सीमा पार कर लेता हैं |परन्तु अच्छे ज्ञान ,बुद्धिमान एवं साधु
लोग अपनी सीमा का उल्लघंन नही करते |वे सरकार की भांति प्रलह मे भी अपनी सीमा का बन्धन नही तोड़ते |
8.व्यापार करना हो तो कोई देश दूर नही |आत्म विश्वास से बढकर इस संसार मे कोई दूसरी ताकत नही
9.अमीर आदमी के पास दोस्त बहुत होते हैं |ऐसे दोस्त केवल स्वार्थ के लिए ही बनते हैं वे केवल अमीर दोस्त को ,पागल बनाने के लिए
ही दोस्ती का दावा करते हैं |
10.पुत्र को दस वर्ष तक प्यार करे ,फिर उसके साथ कड़ाई का व्यवहार करे | सोलह वर्ष का पुत्र होने उसके साथ मिलकर हर विषय मे
विचार विमर्श करे |उसे अपना मित्र समझकर व्यवहार करे|
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अकेलापन
1जिसका कोई भाई न हो वह प्राणी अकेला दुखी रहता हैं | एकांत उसे सांप की भांति कटता हैं |
मूर्ख का दिल और दिमाग शून्य होता हैं | गरीब बेचारे की तो हर चीज शून्य होती हैं | गरीब होना ही पाप हैं और धनवान होना
जीवन का सुनहरा पन हैं |
उदास
2.जिस घर बच्चे न हो वह घर सुना लगता हैं | पति पत्नी भी उदास रहते हैं |
निर्धन
3.निर्धन सदा धन की तलाश में भटकते हैं ,उनके मन में सदा अमीर बनने की इच्छा रहती हैं |
इस संसार का हर प्राणी स्वर्ग चाहता हैं ,वह सदा स्वर्ग के सपने देखता हैं | इसे हम इच्छा कहते हैं | यह सारा संसार इच्छाओ का दास बन कर रह गया हैं |
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जैसे मुह वैसा थप्पड़
हाथी को अंकुश से , घोड़े को चाबुक से , सींग वाले पशु को डंडे से , दुर्जन को तलवार से दंड देना चाहिए | प्रत्येक के साथ उनके व्यवहार के हिसाब से व्यवहार करना चाहिए| More…
सुख का मूल धर्म है | राजनीति एवं अपने कार्यो का ज्ञान होना ही राजा का सबसे बड़ा धर्म होता है | इसी धर्म से देश में सुख और शांति रह सकती है | इसलिए धर्म को ही सुख की मूल जड़ और धर्म कहा गया है |