1. सृष्टि के स्वामी ब्रहा ने सोने मे सुगंध नही डाली ,ईख के खेतो मे फल नही लगाए,चन्दन के व्रक्ष मे फूल नही लगाए,विद्वान् प्राणियो को
धनी और राजा को दीर्घजीवी नही बनाया |इससे तो ऐसा पता चलता हैं कि पूर्व काल मे ईश्वर को बुदी देने वाला नही था |
2.विधार्थी ,नौकर , राही ,भूख से पीड़ित डर से डरा हुआ ,भंडारी और दारपाल यदि यह मात्र सोते हैं तो इन्हे हर हाल मे जगा देना चाहिए
इनके सोने से हानि होती हैं और जागते रहने से लाभ होता हैं |
3.सांप ,राजा ,बाघ ,सूअर ,बालक ,दुसरे का कुता और मुर्ख यदि यह सब के सब सो रहे हो तो इनको जगाने की भूल नही करनी चाहिए |
4.जिसको गुस्सा आने पर उससे कोई नही डरता और खुश होने पर धन प्राप्त होने की आशा नही करता ,जो न तो दण्ड दे सकता हैं और न ही
क्रपा कर सकता हैं ,ऐसे प्राणी यदि रूठ भी जाये तो किसी का क्या बिगाड़ सकते हैं |
5.जिन सांपो मे जहर नही होता ,उन्हें भी अपना फन फैलाना चाहिए |यह तो कोई नही जानता कि इस फन मे जहर है कि भी नही | हाँ
आडम्बर से दुसरे लोग डर अवश्य ही जाते हैं |
6.मुर्ख लोग सुबह के शुभ समय जुआ खेलना आरम्भ कर देते हैं |दोपहर के समय नारी के साथ सम्भोग करते हैं |और रात के समय
चोरी अथवा अन्य बुरे काम करने के लिए घर से निकलते हैं |
7. अपने हाथ से गुंथी हुई माला ,अपने हाथ से घिसा हुआ चन्दन और अपने हाथ से लिखा हुआ स्तोत्र | यह सारे काम इंद्र देवता
की शोभा और लक्ष्मी को हर लेते हैं |अथवा जो लोग माला को गूंथते हैं उसका परिश्रम उस लाभ से भी अधिक होता हैं |जो इसके
धारण करने से होता हैं |
8.ईख ,तिल, क्षुद्र नारी सेना .जमीन ,चन्दन -दही और पान को जितना भी मिलाया जाता हैं ,उतने ही उसके गुण बढ़ते हैं |
9.जो प्राणी निर्धन हैं ,गरीब हैं वह धन से हीन नही हैं |यदि वह विद्या रूप धन रखता हैं |तो इसमे क्या संदेह हैं |कि वह धनवान हैं |
विद्या तो ऐसा धन हैं जो सबसे अनमोल हैं | परन्तु जिन लोगो के पास विद्या धन नही हैं ,वे सभी चीजो से हीन माने जाते हैं |
10.हर मानव के लिए यह जरूरी हैं कि वह नीचे धरती पर अच्छी तरह देखकर ही अपने कदमो को आगे बढाये |जल को कपड़े से
छान कर पीये | शास्त्रों के अनुसार ही सोच -समझकर वचन बोले तथा मन मे सोच -विचार करके ही अच्छे और शुभ व्यवहार करे |
ऐसे ही लोग उन्नति करते हैं और समाज मे सम्मान पाते हैं |
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1.बुदिमान लोगो के लिए यह जरूरी है कि वह अपने बुरे समय के लिए धन कमाकर रखे और उस धन की रक्षा भी
पुरे ध्यान से करे |परन्तु धन और स्त्री से भी अधिक उन्हें अपनी रक्षा की और ध्यान देना अति आवश्यक है ,क्योकि
जब उनका अपना ही नाश हो जायेगा तो धन और स्त्री किस काम आयेगे ?
2.जो लोग बने हुए काम को छोडकर न बनने वाले काम के पीछे भागते है , उनका बना हुआ काम भी बिगड़ जाता है |
जो पहले से ही न होने वाला है वह तो तो पहले से नष्ट है ही |
3.विष मे अम्रत को ,अशुद पदार्थो मे सोने को ,नीच से भी शिक्षा को और दुष्ट कुल से नारी रत्न को बिना संकोच के
ग्रहण कर लेना चाहिए |
4.पुरुषो से नारियो का आहार दुगुना ,बुधि चौगुनी , साहस छ: गुना | और काम भाव आठ गुना बताया गया है |
5.ऐसे लोग जो मुह पर तो मीठी -मीठी बाते करते है लकिन पीठ के पीछे सब कामो को बिगाड़ देते है उनको त्याग
देना चाहिए क्योकि वह सब उस विषकुंभ के समान है जिसके उपर तो दूध ही दुध भरा होता है |परन्तु उसके अन्दर
विष भरा होता है |ऐसे लोगो से सावधान रहना चाहिए |
6.सारे पहाड़ो पर हीरे -जवाहरात नही होते अथार्त हर पत्थर हीरा नही होता |सभी हाथियों के मस्तक मे मोती नही
होता | अच्छे और भले लोग हर स्थान पर नही मिलते और हर जंगल मे चन्दन के पेड़ नही होते |
7.जो माँ -बाप अपने बच्चो को अधिक लाड प्यार से पालते है ,उनकी हर अच्छी -बुरी इच्छा पूरी करते है , ऐसे बच्चो
मे अनेक बुरी आदते जन्म ले लेती है जो बड़े होने पर उनकी प्रगति मे रोड़ा बन जाती है |इसलिए बचपन से ही बच्चो
को बुरी आदतों से बचाकर रखना चाहिए |लाड -प्यार करने के साथ ही बच्चो को समय -समय पर प्रताड़ित भी करते रहना
चाहिए |
8.यदि कोई मुर्ख प्राणी आपको मिले तो उसका त्याग करो | क्युकी वास्तव मे वह दो पांव का पशु होता है | ऐसे प्राणी वचन
रूपी बाणों से मनुष्य को ऐसे बींधता है जैसे रास्ते का काँटा शरीर मे चुभकर उसे बींधकर एक दर्द पैदा करता है |
9.राजा लोग केवल एक बार आज्ञा देते है , पण्डित लोग एक बार बोलते है |अपनी प्रतिज्ञा पर द्रढ़ रहते हुए कन्या दान भी
केवल एक बार ही किया जाता जाता है | यह तीनो बातो केवल एक बार होती है |बार -बार यह सब नही होता |
10.पत्नी वही है जो पवित्र हो ,जो चतुर हो , जो पतिव्रता बन रहे ,जो अपने पति से प्रेम करती हो , जो सत्य बोले ,झूठ से
घ्रणा करे ,केवल इसी ही नारी मान- सम्मान और पालन -पोषण करने योग्य मणि गई है |
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1.अपने बढो के आगे कभी झूठ मत बोलो | राजा के आगे झूठ बोलने से मृत्यु दंड मिल सकता है |दुश्मन के साथ धोखा
करने से धन का नाश होता है | ब्राह्मण के साथ धोखा करने से कुल का नाश होता है | इसलिए कभी झूठ मत बोलो |
2.अपने भाइयो ,सगे सम्बन्धियों के बीच छोटा बन कर रहने से तो कही अच्छा है किआदमी जंगल मे जा कर रहने लगे |
जहाँ पर बड़े -बड़े हाथी बाघ रहते हो | खाने के लिए पते और पीने के लिए तालाबो का गंदा पानी मिले |ऐसे वातावरण मे
भी तुम्हे आत्मिक शान्ति मिलेगी , क्योकि वहाँ आप अपने को छोटा नही समझेगे |
3.ब्राह्मण एक व्रक्ष के समान है | उसकी जड संध्या और दान शारदा है | पते धर्म -कर्म है | इसलिए जड की रक्षा बड़े ध्यान से
करनी चाहिए | यदि हथियार भी आदमी के पास हो और उसे चलाने की बुधि न हो तो बिना हथियारों वाले प्राणी से भी वह
हर जायेगा | इस तरह से बुधि बड़ी बलवान है |
4.अपने दायरे को तोड़ने वाला | अपनी सीमा से बाहर जाने वाला |ऐसे प्राणी सदा धोखा खाते हैं | हर प्राणी के जीवन की
एक सीमा होती हैं उसे अपने हालात, अपनी श्रदा , अपनी ताकत के अनुसार ही जीना चाहिए |
5.जो हर समय अपने ख्याल मे खोया रहे | उसे विध्या नही आ सकती | जो मासाहारी है , उसके मन मे दया नही होती |
जो कामुक हैं ,वह कभी पवित्र नही होता | यह भी सत्य हैं कि चील के घोंसले मे कभी मास नही होता |
6.जब किसी चीज के गुणों का पता नही चलता तो उसकी बुराई होने लगती हैं \ भ्लनी हाथी की कीमत नही जानती ,
फिर उसकी बुराई करके अपने मन को शांत कर लेती हैं | लोमड़ी जब अंगूरों तक पहुंच नही सकती , तो वह कहती हैं कि
यह अंगूर खट्टे हैं | मैं तो मीठे अंगूर ही खाती हूँ |
7.जो पाखंडी होता है दुसरो का काम बिगाड़ देता है अमीर आदमी जब धन का दुरूपयोग करता है तो वह अन्दर से वह
पापी होते है | बिल्ली भी इन्ही के स्वभाव वाली होती है |
8.महापुरुषों का चरित्र धन्य है |वैरागी लक्ष्मी को एक तिनके के समान समझता है | लक्ष्मी कितनी भी उसके पास आ
जाये वह मुहँ फेर कर चल देता है |इंद्रिय विजेता के रास्ते मे सुंदर से सुंदर औरत कितना भी प्रयास क्यों न करे वह कभी
उसके जाल मे नही फंसता |
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1.ब्राहाण भरपेट भोजन मिलने पर ,मोर बादलो के गर्जने पर,सज्जन दुसरो की सम्पति से ,दुष्ट दुसरो को विपति मे देखकर बड़े
खुश होते हैं |मानव को अत्यंत सरल स्वभाव का नही होना चाहिए वनों मे जाकर देखो कि वहाँ सीधे ही व्रक्ष को ही काटा जाता हैं |
और टेढ़े -मेढ़े व्रक्ष बड़े मजे से खड़े रहते हैं |उन्हें कोई नही काटता |
2. शेर की गुफा मे जाने पर ही हाथी के मस्तक का मोती प्राप्त होता हैं और गीदड़ के स्थान पर जाने पर बछड़े की पूंछ और गधे के
चमड़े मिलते हैं | जैसे फूलो मे खुशबू होती हैं |तिलों से तेल निकलता हैं | काठ मे आग ,दूध मे घी और ईख मे गुड ,शक्कर होता हैं |
वैसे ही शरीर मे भी आत्मा का वास हैं |बुदिमान और ज्ञानी लोगो को पाकर अपने जीवन का कल्याण करना चाहिए |
3.लम्बी आयु वाले मुर्ख बेटे से पैदा होते ही मर जाने वाला बेटा श्रेष्ठ हैं |उसका केवल थोड़े समय के लिए दुःख होता हैं परन्तु मुर्ख
बेटा तो जब तक जीवित हैं तब तक माँ -बाप को दुःख देता रहेगा |
4.बदनाम ग्राम मे निवास करना ,कुलहीन की सेवा करना ,बुरा भोजन करने वाली पत्नी ,मुर्ख पुत्र और विधवा नारी | यह छहों
बिना आग के ही शरीर जलाते रहते हैं |
5.उस गौ का क्या लाभ जो दूध न देती हैं न गर्भ धारण करती हैं ,ठीक इसी प्रकार उस बेटे से क्या लाभ जो न विद्वान् न हो
और न ही ईश्वर भक्त हो |
6.जिस घर मे सन्तान नही वह सूना हैं ,जिस इन्सान के दोस्त या मित्र नही हैं उसकी दशो दिशाए सूनी हैं |मुर्ख इन्सान का
दिल सूना होता हैं और दरिद्री व् कामचोर के लिए तो सबकुछ सूना हैं |
7.जैसे आग मे जलते हुए एक ही व्रक्ष से वह सारा वन जिसमे वह पैदा हुआ हैं ,जलकर भस्म हो जाता हैं |वैसे ही एक ही बुरी
सन्तान सारे वंश के गौरव , मान और इज्जत को मिट्टी मे मिला देती हैं |
8.दिल को दु:खी करने वाले शोकदायक बहुत से बेटो के घर मे होने से क्या लाभ हैं ?उससे तो कही अच्छा यह हैं कि एक ही पुत्र
उतम और ज्ञानी हो |
9जंहा पर जल होता हैं वही पर हंस आते हैं |जब जल सुख जाता हैं तो वे उस स्थान को छोडकर चले जाते हैं |परन्तु मानव को
हंस की भांति बार -बार आने -जाने वाला स्वार्थी नही होना चाहिए |
10.कमाए हुए धन को खर्च करना ,दान देना उसकी रक्षा मणि जाती हैं |जैसे जल से भरे तालाब के अन्दर भरे हुए जल को
निकालते रहने से ही तो जल स्वच्छ रह सकता हैं |
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1.आग ,पानी ,स्त्री ,सांप और राज परिवार |इन सबसे सदा होशियार रहना चाहिए | क्योकि जरा सी भूल के कारण यह प्राणों को नष्ट कर देते है |
2.राजा ,आग ,गुरु और स्त्री |इन का सेवन मध्य अवस्था मे करना चाहिए |क्योकि यह सब अत्यंत
निकट होने पर भी विनाश का कारण बन जाते है |
3.हे प्राणी ! यदि तुम एक ही कर्म से इस संसार को अपने वश मे करना चाहते हो तो दुसरो की निंदा
मे लगी अपनी वाणी को रोको |अथार्त निंदा करना छोड़े |
4.बुरे कर्म करने के पश्चात पश्चाताप करने वाले प्राणी को जैसे बुधि प्राप्त होती है ,यदि वैसी ही बुधि
उसे पाप करने से पहले मिल जाए तो किसका कल्याण नही होगा ?
5.जो लोग समर्थ है ,धन वाले है ,उनके लिए गलत काम भी ठीक हो जाते है | परन्तु जो लोग निर्धन है ,छोटे है उनके लिए उचित कार्य भी गलत गिने जाते है | उदाहरन के भी तोर पर दैत्य के लिए अम्रत भी मौत का कारण बन जाता है और शिवजी के लिए विष भी अम्रत बन जाता है |इसी विष को पीकर वे नीलकंठ के नाम से प्रसिद हो गये |
6.चन्दन का व्रक्ष यदि काट भी दिया जाये तो वह अपनी गंद नही छोड़ता ,बुढा होने पर भी हाथी अपनी कामक्रीडा को नही छोड़ता ,ईख को कोल्हू मे पेर दिया जाए तो भी वह अपनी मिठास नही छोड़ता | इसी प्रकार जो अच्छे और उच्च वंश के लोग है ,धनहीन होने पर भी अपनी सुशीलता को
नही छोड़ते |
7.ऐसे माँ –बाप अपनी सन्तान के स्वयं शत्रु है जिन्होंने अपनी सन्तान को उतम शिक्षा नही दी | जोअपनी सन्तान का पालन –पोषण अच्छे ढंग से नही करते |क्योकि बुधिहीन या अज्ञानी लोग जब विदानोकी सभा मे जाते है तो वह ऐसे चुपचाप बैठ जाते है ,जैसे वे गूंगे हो |ऐसे लोगो को उस सभा मे देखकर
ऐसा प्रतीत होता है जैसे हंसो की सभा मे कौआ बैठा हो |
8.कुवारी कन्या और बालक भगवान का रूप माने गये है |हाथी को देखकर हजार हाथ दूर रहो |घोड़े से सौ हाथ दूर रहो ,सींग वाले पशु को देखकर दस हाथ दूर रहो | किन्तु बुरे आदमी को देखकर आप वंहासे केवल भाग ही न लो ,बल्कि उस शहर को भी छोडकर भाग जाए तो अधिक अच्छा है बुरा आदमी सदा नुकसान ही पहुंचाता हैं |उससे भले की आशा न रखे |
9.हंस केवल वही पर रहते हैं ,जंहा पर उन्हें पानी मिलता हैं |सरोवर सुख जाने पर वह अपनी जगह बदल देते हैं किन्तु प्राणी को ऐसा स्वार्थी न होना चाहिए
उसे बार -बार अपना स्थान नही बदलना चाहिए |
10.जैसे धरती खोदने से उसमे से पानी निकलता है |वैसे ही गुरु की सेवा करने से विद्या प्राप्त होती हैं |यह बात सदा याद रखे कि गुरु की सेवा के बिना
इन्सान कभी अच्छी शिक्षा नही पा सकता |
राज्य शासन
जिस प्रकार एक पहिये से रथ नही चल सकता ,उसी प्रकार कभी अकेला राजा शासन नही चला सकता | उसे अपने लिए मंत्रियो और सहायको की भी आवश्यकता हैं राजा और मंत्री शासन के दो पहिये होते हैं|
सम्पन्न
जो राजा सम्पन्न हो, उसकी प्रजा भी सम्पन्न हो जाती हैं | राजा की व्यवस्था यदि सुन्दर हो तो सारे देश को सम्पन्नता प्राप्त हो जाती हैं जब देश को सम्पन्न होगा तो प्रजा भी सम्पन्न होगी |
गुण
सुन्दरता की शोभा केवल गुणों से होती है यदि किसी प्राणी में गुण नही है तो वह बिल्कुल ही बेकार होता है | उसका यही हाल होता है जो बंजर धरती का होता है | More…
आकाश पर न तो कोई दूत जा सकता है | न ही वहां पर सीधी बातचीत की जा सकती है | किन्तु विद्वानों ने हजारो मील की ऊंचाई पर से बसे इस आकाश के चाँद सितारों का साथ हिसाब लगा लिया | More…