धर्म
1.धर्म वही हैं जिससे दया की शिक्षा मिले |
जिस धर्म में दया न मिले उसे छोड़ देना चाहिए |
बात-बात पर झगड़ा करने वाली ओरत को तो घर से निकाल देना चाहिए |
दान
2.दान देने से दरिद्रता दूर हो जाती हैं | जो लोग दुसरो के दु;ख दूर करते हैं भगवान उनके दु;ख दूर करतेहैं|
बुधी सदा अज्ञानता को नष्ट करती हैं | बुद्धिमान कभी भूखा नही मरता |
धर्म की रक्षा
3.धन से धर्म की रक्षा होती हैं खाने पीने और योग से विधा की रक्षा होती हैं | शक्ति से राज की रक्षा
होती हैं यदि पत्नी अच्छी पढ़ी -लिखी , गुणवान हो तो वह सारे घर की रक्षा कर सकती हैं |
दान देना
4.सागर के लिए वर्षा होना न होना बराबर हैं | जिसका पेट भरा हो उसके लिए बढिया से बढिया भोजन
बेकार हैं सूर्य के प्रकाश के सामने दीपक क्या करेगा |अमीर आदमी को दान देने से क्या लाभ उसके सामने धन की कोई कीमत नही होती |दान भी उसे दो जो गरीब हो |
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अकेलापन
1जिसका कोई भाई न हो वह प्राणी अकेला दुखी रहता हैं | एकांत उसे सांप की भांति कटता हैं |
मूर्ख का दिल और दिमाग शून्य होता हैं | गरीब बेचारे की तो हर चीज शून्य होती हैं | गरीब होना ही पाप हैं और धनवान होना
जीवन का सुनहरा पन हैं |
उदास
2.जिस घर बच्चे न हो वह घर सुना लगता हैं | पति पत्नी भी उदास रहते हैं |
निर्धन
3.निर्धन सदा धन की तलाश में भटकते हैं ,उनके मन में सदा अमीर बनने की इच्छा रहती हैं |
इस संसार का हर प्राणी स्वर्ग चाहता हैं ,वह सदा स्वर्ग के सपने देखता हैं | इसे हम इच्छा कहते हैं | यह सारा संसार इच्छाओ का दास बन कर रह गया हैं |
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मित्र कौन ?
जो मुसीबत के समय भी प्यार करे वहीं सच्चा मित्र होता है | सुख में तो सब मित्र बन जाते है जो लोग दुःख और सुख में बराबर प्रेम रखते है है , जो दुःख में काम न आ सके वह कैसा मित्र ?
मित्र संग्रह
जो लोग मित्र संग्रह करते है , उन्हें शक्ति मिलती है , साथी मिलते है हाँ , मित्र बनाते समय स्वार्थी लोगो से दूर रहे | सच्चे मित्र बनाने से राजा की ताकत बढती है | राजा की ताकत बढने से देश की ताकत बढती है |
कर्तव्य
जो राजा अपने कर्तव्य को समझ जाता है , वही अपनी इन्द्रियों को वश में रख सता है | जो इन्द्रियों को वश में कर ले , वहीं महाज्ञानी है|
धर्म
मानवता से बड़ा धर्म इस संसार में कोई नही |
राज्य शासन
जिस प्रकार एक पहिये से रथ नही चल सकता ,उसी प्रकार कभी अकेला राजा शासन नही चला सकता | उसे अपने लिए मंत्रियो और सहायको की भी आवश्यकता हैं राजा और मंत्री शासन के दो पहिये होते हैं|
सम्पन्न
जो राजा सम्पन्न हो, उसकी प्रजा भी सम्पन्न हो जाती हैं | राजा की व्यवस्था यदि सुन्दर हो तो सारे देश को सम्पन्नता प्राप्त हो जाती हैं जब देश को सम्पन्न होगा तो प्रजा भी सम्पन्न होगी |
गुण
सुन्दरता की शोभा केवल गुणों से होती है यदि किसी प्राणी में गुण नही है तो वह बिल्कुल ही बेकार होता है | उसका यही हाल होता है जो बंजर धरती का होता है | More…
शिक्षा की विशेषता
विद्वान् की हर स्थान पर पूजा होती है | शिक्षक कोई भी हो उसका हर स्थान पर सम्मान होता है | More…
” यह कोन है ? काला कलूटा भूत जैसा कुरूप ! जिसकी शकल देखने से ही मन ख़राब होता है |
कैसे आया यह हमारे राज दरबार मर ? कैसे बैठ गया यह मनहूस हमारे सामने ?” More…