Chanakya Niti,Inspirational,Motivational
1.पानी मे तेल और पापी आदमी से गुप्त रहस्य ,सत्पात्र को दिया गया दान ,बुद्धिमान को दिया गया शास्त्र ज्ञान ,यह सब
थोड़े होने पर भी वस्तु की शक्ति से स्वयं ही विस्तार को प्राप्त होते हैं |
2.हे प्राणी ! तुम दुष्टों का साथ छोडकर अच्छे -भले ज्ञानी लोगो के साथ रहो |रात -दिन अच्छे -भले काम करो | यह मत भूलो
कि संसार नाशवान हैं |इसलिए ईश्वर को याद रखो |
3.धर्म ,धन अन्न और ज्ञान व् औषधियों का भलीभांति संग्रह करने वाले लोग बुद्धिमान लोग होते हैं और जो लोग इनका संग्रह नही
करते वे कभी सुख से नही जी सकते |
4. मित्र ,स्त्री ,सेवक ,बन्धुवर —- यह सब इन्सान को त्याग देते हैं | जब वह मनुष्य पुने: धनवान बन जाये तो वही लोग उसके पास
भागे आते हैं |ऐसा प्रतीत होता हैं कि यह धन ही तो इंसान का सबसे बड़ा दोस्त ,मित्र ,बन्धु -बांधव हैं |
5.जो मुर्ख अज्ञानी होने के कारण ऐसा समझता हैं कि यह सुंदर नारी मुझसे प्रेम करती हैं | ऐसा आदमी उनके प्रेम जाल मे फसकर
कठपुतली की भांति नाचता रहता हैं |
6.वेश्याएँ बातचीत किसी से करती हैं ,किन्तु विलासपूर्वक किसी और को देखती हैं उनके मन मे भी किसी और का ही चिन्तन होता हैं |
इसमे कोई संदेह नही कि वेश्याओ का प्यार किसी एक के साथ नही होता |वह सब को प्यारी होती हैं , परन्तु उनका असली प्यार तो धन
से होता हैं |
7.जो प्राणी इस संसार के मोहमाया जाल मे फंसे हुए हैं जो इस जाल से बाहर निकलने के लिए न तो वेदों का पाठ करते ,न ईश्वर की
उपासना करते हैं |न ही अपने लिए स्वर्ग के द्वार खोलने के लिए धर्मरुपी धन का संग्रह करते |न स्वप्न मे स्त्री के सुंदर स्तनों व् जंघाओं
का आलिंगन करते ,वे लोग माता के योवन रूपी व्रक्ष को काटने वाले कुल्हाड़े रूप होते हैं |
8.यह संसार एक विष व्रक्ष हैं |इस पर दो ही प्रकार के फल अम्रत के समान लगते हैं | पहला मधुर वचन व् दूसरा सज्जनों की संगति |
अथार्त मधुरभाषी व्यक्ति शत्रु को भी वशीभूत कर सकता हैं |और जो सज्जन पुरुषो की संगति करता हैं उसका निश्चय ही कल्याण
होता हैं |