महापापी
1.महापापी कोंन हैं | जो दूर आए भले सीधे -सादे प्राणी को विश्राम की जगह न दे ,जो घर आए मेहमान को खाना न खिलाये और उसके सामने स्वयं
खा ले ,जो दुसरो का माल हजम कर जाये ऐसे लोग महापापी होते हैं | राजा आग, गुरु ,इन सबके निकट जाना अच्छा नही होता | इनसे दूर रहने में ही लाभ हैं |
इससे इज्जत बनी रहती हैं | आग ,पानी ,सांप ,राजा ,इन सबसे मित्रता करने से घाटा ही घाटा हैं | यह क्रोध में आकर प्राणी की जान भी ले सकते हैं
पापी
2.कांठे और पापी के दबाने के दो ही रास्ते हैं |पहला उसे तरीके से समझाना | यदि वह प्यार से नही समझता तो फिर जूते से समझाना |
अम्रत
3.अमृत से सबको जीवन मिलता हैं ,परन्तु शिवाजी महाराज विष पीकर कर और भी पुज्यनिए होते हैं , इसलिए हर काम केवल पात्र पर निर्भर होता हैं |
निर्धन
1.यह एक खुला सत्य हैं कि निर्धन की वेश्य ,शक्तिहीन राजा को प्रजा ,फलहीन व्रक्ष | इन सबका कोई लाभ नही होता | वन में आग लगने पर हिरण,
विध्या प्राप्त करने पर विधार्थी भिक्षा लेने के पश्यात ,भिखारी ,यह बस अपने काम पूरे होते ही स्थान छोड़ कर चले जाते हैं |