1. इस दुनिया में बस 20% लोग ही ऐसे होते है जो सफलता की केटेगरी में आते है. पर दूनिया में लोग तो 100% है तो आखिर ये 80% लोग सफल क्यों नहीं होते ? अब आप कहोगे की इन्हें अच्छी परवरिश मिली होगी या इनके बाप – दादा अच्छे घर से होंगे. नहीं गलत, आज ऐसे कई Example है जहाँ लोगो ने जमीन से आसमान की बुलंदियां छुई है. ऐसे लोग जो गरीब जीवन जीते हुए बहुत अमीर बन गये. इन सब में एक बड़ा diffrence है आलस्य का. 80% लोग किसी काम को करने में आलस्य करते है वही 20% लोग उसी काम को बड़ा मन लगाकर करते है. इसलिए जीवन बेहतर और खुशहाल बनाना है तो आलस्य त्यागो और परिश्रम करना सीखो. याद रखो ” आलसी मनुष्य का कोई भी वर्तमान और भविष्य नहीं होता।
2. आधी रात तक जागते नहीं रहना चाहिए। बिना अधिकार के किसी के घर में प्रवेश न करें। पराए धन को छीनना अपराध है।
3. जिन वचनो से राजा के प्रति द्वेष उत्पन्न होता हो, ऐसे बोल नहीं बोलने चाहिए। कोयल की कुक सबको अच्छी है। प्रिय वचन बोलने वाले का कोई शत्रु नहीं होता।
4. जब खीर गर्म हो तो पतीले में खीर किनारे से थोड़ी थोड़ी खानी चाहिए।
5. जो बीत गया सो बीत गया। अपने हाथ से कोई गलत काम हो गया है तो उसकी फिक्र छोड़ते हुए वर्तमान को सलीके से जीकर भविष्य को सवारना चाहिए।
6. अगर कोई व्यक्ति कमजोर है, तब भी उसे हर समय अपनी कमजोरी का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए।
7. जो लोग हमेशा दूसरों की बुराई करके खुश होते हों, ऐसे लोगों से दूर ही रहों ; क्योंकि वे कभी भी आपके साथ धोखा कर सकते हैं. जो किसी और का न हुआ, वह भला आपका क्या होगा।
8. जल में तेल, दुष्ट से कही गई बात, योग्य व्यक्ति को दिया गया दान तथा बुद्धिमान को दिया ज्ञान थोड़ा सा होने पर भी अपने- आप विस्तार प्राप्त कर लेते हैं।
9. युवावस्था के छात्र जीवन को तपस्वी की तरह माना गया है। चाणक्य कहते हैं युवा छात्र को स्वादिष्ट भोजन की लालसा छोड़ देना चाहिए और स्वास्थ्यवर्धक संतुलित आहार लेने की कोशिश करनी चाहिए।
10. चाणक्य कहते हैं कि बचपन में संतान को जैसी शिक्षा दी जाती है, उनका विकास उसी प्रकार होता है। इसलिए माता-पिता का कर्तव्य है कि वे उन्हें ऐसे मार्ग पर चलाएं, जिससे उनमें उत्तम चरित्र का विकास हो क्योंकि गुणी व्यक्तियों से ही कुल की शोभा बढ़ती है।